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Showing posts from April 11, 2009

विनाश के चक्र मे पाकिस्‍तान

लगातार बढ रहे आतंकी हमले , लोगो की विछती लाशे अपाहिजो की बढती संख्यार लोगो को सुरक्षा देने के खोखले सरकारी वादे और पुन् हिंसा, यह चित्र है वर्तमान पाकिस्ताेन का जहॉ पिछले तीन माह मे नौ से अधिक बडे हमले हो चुके है,और 200 से अधिक लोगो की जाने जा चुकी है हजारो लोग धायल हुये है पूरे देश मे दहशत का माहौल है सबके सामने अनिश्चितता ओर भय का माहौल बना हुआ है दहसतगर्दी का ये माहौल हमारे पडोस मे है , ये एक देश के तवाही की भूमिका है जो यह बता रही है कि पाकिस्तान की कोई भी सरकार वहॉ कानून व्यवस्था बना पाने मे समर्थ नही है, पाकिस्तान अपने ही बनाये चक्रव्यू ह मे फॅसता जा रहा है, उसने जिन दहसतगर्दो को संरक्षण देकर अपना हथियार बनाया उस हथियार का निशाना अब वह स्‍वयं बन रहा है , पाकिस्तान मे बढती दहसत गर्दी की घटनाये यह इशारा कर रही है कि इस्लामाबाद मे बनने वाली कोई भी सरकार वहॉ के अवाम का विश्वास हासिल करने मे असमर्थ रही है भविष्य का परिणाम यह है कि वहॉ शीघ्र ही जनता सडको पर उतर आयेगी जो कोढ मे खाज का काम करेगी, फौज से सरकार से तनाव बढेगा, सरकार यदि कटटर पंथियो पर लगाम भी लगाना चाहेगी तो जन समर्थन क

पार्टियों के विजापन के आधार पर सरकार

राजनैतिक महाकुम्भ २० - २० की उलटी गिनती शुरू हो गई है और हर राजनैतिक दल सारी ताकत लगा कर अपने अपने चुनाव प्रचार में लग गया लेकिन इन सबके बीच एक और समुदाय है जिन्होंने चुनाव का बीडा उठा रखा है वो है मीडिया जी हा ये वही मीडिया है जिनमे साल भर पहले महगाई , परमाणु करार के मुद्दे पर तत्कालीन सरकारकी बखिया उखेड़ने में कोई कसर नहीं छोडी थी लेकिन आज स्थिति अलग है ..... हर चैनेल सर्वे के आधार पर सरकार बना और गिरा रहा है पर इसमें भी राजनीति है आप ध्यान से देखेगे तो पायेगे की बहुत से चैनेलोमे में राजनैतिक पार्टियों के विजापन भी चल रहे है लेकिन उसमे गौर करने वाली बात यह है कि जिसके विजापन के बाद उसकी कि सरकार चैनल में बनती दिखाई देती है मतलब जैसे की कांग्रेस का विजापन तो सरकार और बढ़त कांग्रेस की बता दी जाती है वैसे ही भाजपा के विजापन के बाद दिखाए जाने वाले सर्वेक्षण में भाजाप् को आगे दिखा दिया जाता है महज ये इतिफाक नहीं बल्कि कई बार ऐसा देखने मिल रहा है तो ये कैसा सर्वे आप ही बताइए .लगता है अब सर्वे पार्टियों के विजापन के आधार पर भी किये जा रहे है सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

जोड़-तोड़ की कोख से जन्‍मेगा पीएम

लोकसभा चुनावों में स्‍पष्‍ट बहुमत पाना अब दूर की कौड़ी बन चुकी है। सन 90 के बाद से हम लगातार ऐसी सरकारें देखते आ रहे हैं, जो जोड़-तोड़ से अपना कार्यकाल पूरा करने की कोशिश करती रहती हैं। इस महीने से शुरु होने जा रहे आम चुनावों के क्‍या नतीजे हो सकते हैं यह जानने के लिए देश के कई मीडिया ग्रुप और एजेंसियां सर्वे करा रही हैं और कुछ ने तो सर्वे संपन्‍न भी कर लिए हैं। जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं, और कौन पहुंचेग पीएम की कुर्सी तक। हालांकि सभी सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि कोई भी पार्टी अपने दम पर बहुमत नहीं ला पाएगी।ऐसी स्थिति में सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ की संभावनाएं सामने हैं। जो पार्टी इस खेल में जीतेगी वही सरकार बनाएगी। आगामी लोकसभा चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को 234 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 186 सीटें मिलने का अनुमान है। यह दावा ‘द वीक’ पत्रिका के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में किया गया है। इसी तरह इंडिया टुडे द्वारा कराए गए सर्वे में कांग्रेस गठबंधन को 190 से 1999 के बीच में सीटें मिलने का अ

विष्णु प्रभाकर

आज विष्णु प्रभाकर हमारे बीच से चले गए लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा लोगों के साथ रहेंगी। प्रभाकर को पद्मभूषण दिया गया था, लेकिन देर से दिए जाने पर अपने सम्मान पर चोट मानते हुए लेने से इनकार कर दिया था । उन्होंने अपने स्वाभिमान से कभी भी समझौता नही किया । उनका साहित्य पुरस्कारों से नही बल्कि पाठको के स्नेह से प्रसिद्ध हुआ । उनका जन्म 20 जुलाई 1912 को उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही वह पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से हिसार चले गए थे। प्रभाकर पर महात्मा गांधी के दर्शन और सिद्धांतों का गहरा असर पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के महासमर में उन्होंने अपनी लेखनी को अंग्रेजों के ख़िलाफ़ हथियार के रूप में प्रयोग किया । १९३१ में हिन्दी मिलाप में उनकी पहली कहानी छपी और इसी से उनका साहित्य जगत में आगाज हुआ । आजादी के बाद उन्हें दिल्ली आकाशवाणी में नाट्य निर्देशक बन

Loksangharsha: जानी जानी सब अनजानी हो गई।

जानी जानी सब अनजानी हो गई। जानी -जानी सब अनजानी हो गई। मेरे संग थोडी बेईमानी हो गई॥ भूखी भोर रात भर कराहती रही - कैसी बेमिसाल ये गरानी हो गई ॥ सत्ता -सुख-वैभव के जाल में फ़ँसी - राम वाली आस्था पुरानी हो गई ॥ स्वप्न में भी जलती चिताएं दिखती - हाय मेरी बिटिया सायानी हो गई ॥ तेरे इक इशारे से बदल गया सब- सूनी सूनी शाम भी सुहानी हो गई ॥ ------------------ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

अश'आर - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

बेताब है सूरज सवेरा कब होगा? इठलाती उषा आयेगी वो तब होगा। जो रहा बेताब वो आगे बढ़ा है। जो नहीं बेताब वो पीछे खड़ा है। उठी चिलमन तो देखा हम रहे जिनके लिए बेताब। चिलमन में छिपे वो भी हमारे लिए बेताब।