हाँ में भारत की संसद हूँ .मुझे मेरी करतूतों पर कई बार शर्म आती है और इन दिनों तो में खुद अपनी करतूतों से शर्मसार हूँ .....मुझे मेरे देश मेरे भारत के लोगों ने उनकी हिफाजत ,सुरक्षा और कल्याण के लियें योजना बनाने के लिए चुना है ..मुझे गरीबी और भ्रष्टाचार दूर करने के लियें बनाया गया है लेकिन में इन सभी मामलों में नाकामयाब रही हूँ .मेरे ५४४ सदस्य है जो कभी भी किसी भी सेशन में कार्यकाल में उपस्थित नहीं रहे हैं ..जब भी किसी बिल को पास कराने या चर्चा के लियें मुझे इन लोगों की जरूरत पढ़ी तब यह लोग गायब मिले हैं कई लोग तो मेरे समक्ष रखे गये बिलों को खोल कर पढ़ भी नहीं पाए है कई ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने एक भी सवाल नहीं किया है ..सदस्य आते है बैठते हैं ....और सस्ता खाना खाकर मजे लेकर चले जाते हैं यह लोग मुफ्त में मेरे यहाँ उपस्थित नहीं होते है अपनी उपस्थिति के लियें यह ख़ासा भत्ता लेते हैं .आने जाने का किराया खर्चा लेते हैं ठहरने का खर्चा लेते हैं ........दोस्तों मेने जो देखा है वोह बताते हुए मुझे अफ़सोस है इन लालची सदस्यों ने केवल खुद की तनख्वाह बढाने के मामले और भत्ते