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Showing posts from May 2, 2010

लो क सं घ र्ष !: मजदूर दिवस

~~ मजदूर दिवस~~ सपने किसी को नहीं आते बेजान बारूद के कणों में सोयी आग को सपने नहीं आते बदी के लिए उठी हुईं हथेली के पसीने को सपने नहीं आते सेल्फों में पड़े इतिहास ग्रन्थों को सपने नहीं आते सपनों के लिए लाजिमी है झेलने वाले दिलों का होना सपनों के लिए नींद की न$जर होनी लाजमी है सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते। ----पाश Sunil Dutta
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