यह शायद पहली बार हुआ है कि भारत के प्रधान मंत्री ने किसी कारपोरेट घराने को फायदा पहुँचने के लिए खुले आम उसके लिए पैरवी की हो। पर अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक ऐसी गलती मिसाल कायम कर दी है। वैसे तो चोरी-छिपे इस तरह की सिफ़ारिशें पहले भी चलती रही होंगी , जैसा कि मित्तल परिवार के ही लक्ष्मी मित्तल द्वारा आरसेलर नामक विदेशी कंपनी के अधिग्रहण के समय हुआ, पर खुले आम इस तरह की सिफारिश कर प्रधानमंत्री ने एक ग़लत परम्परा की नींव डाल दी है। एक भारतीय कंपनी -भारती एयरटेल और दक्षिण अफ्रीकी कंपनी-एमटीएन के बीच खरबों रुपयों का गठबंधन सौदा पिछले कई दिनों से अटका पड़ा था । सम्भावना व्यक्त की जा रही थी की 30 सितम्बर तक यह मामला नही सुलझा तो सौदा ही कैंसल हो जाएगा। भारती एयरटेल भारत के एक सबसे बड़े कारपोरेट-घराने मित्तल घराने की कंपनी है। प्रधानमंत्री जी-20 शिखर सम्मलेन की बैठक में भाग लेने अमेरिका के पिट्सबर्ग शहर गए थे। लगता है जी-20 बैठक के आलावा सुनील मित्तल की कंपनी- भरती एयरटेल का सौदा भी उनके पिट्सबर्ग एजेंडे में शामिल था। सम्मलेन के दौरान अफ्रीका के राष्ट्रपति जैक्जूमा के साथ उनकी कोई मीटिंग न