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Showing posts from December 28, 2008

ज़ंग नासूर है, पर गले लगा सकते है हम !!

हमने हर सम्भव कोशिश की,ज़ंग न हो ! पर पाक ने हर कदम पर ज़ंग को ही जायज बताया! ये ज़ंग नासूर है हिन्दुस्तान और पकिस्तान के लिए पर जब बात यहाँ तक आ गई है तो तुम शान्ति और अमन के लिए इस नासूर से लड़ने के लिए भी तैयार है! तो आओ हिंदुस्तानिओं आज फिर एक हो जाओ, यही मान लो की ये हमारा दूसरा स्वतंत्रता संग्राम है !! हम जंग कर रहे है एक नई स्वतंत्रता के लिए जिसके बाद शयद हुम्हे हर पल नही मरना पड़ेगा !! हम बेकौफ जी सकेंगे !! चाहे इसकी कीमत अब जो भी हो ,इसे हुम्हे चुकाना है! पाक साबधान रहे हम हिन्दुस्तानी आ रहे है !! जय हिन्दुस्तान ...जय हिन्दुस्तानी

गान्धीजी का मोर्डन आर्ट खादी ओर तीन बन्दर

गान्धीजी का मोर्डन आर्ट खादी ओर तीन बन्दर गा धीजी ने १९४५ मे ख्याल आया कि मेरे मरने के बाद मेरे पुतले बनेगे। और मेरे नाम पर सडको के नाम तो जरुर होगे। उन्होने सोचा कि यह भी वेल डिजाइन्ड होना चाहिये तो उन्होने पुतला बनाने कि पैक्ट्रिस शुरु कि और अपनी हेड राइटिग कि तरह ही मुर्तियॉ और पुतले बनाये। बनाने चले थे कुछ ओर ही लेकिन बन गऐ बन्दर। वह भी एक नही, दो नही, पुरे के पुरे तीन बन्दर । एक बहरा, दुसरा गुगा, तीसरा अन्धा। मन्त्रियो कि गीता उन्होने यही पर पैदा कर दी।जिस तरह मोर्डन आर्ट मे देखकर विचार करते व फैसला करते ठीक उसी तरह यह गॉन्धीजी कि 'मोर्डन-आर्ट थी। इसका मतलब मन्त्रियो को अपनी अक्ल के हिसाब से इसके भावो को लेना था। इसीलिये उन्होने मन ही मन फैसला किया "कुछ ना सुनो", कुछ ना देखो", कुछ ना बोलो", खा दी गाधीजी ने बेचने के लिये बनाई यानि ग्रामिण उधोग के हिसाब से बनाई थी न कि पहनने के लिये । मन्त्रिगण इस मे मार खा गये। अच्छे से अच्छा वस्त्र के होते हुऐ भी खुद खादी या खादी जैसे दिखने वाले वस्त्र पहनकर घुम रहे है। यह तो ऐसी मिशाल हुयी जैसे किसी के