हाल के दिनों में भारत में माओवादी काफी चर्चा में रहें हैं। लालगढ़ और झारखंड की सीमा से लगे पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले में माओवादियों की सक्रियता पिछले कुछ महीनों से संचार माध्यमों की सुर्खियों में स्थान पाती रही है। लालगढ़ के बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है और लिखना जारी रहेगा। उन माओवादियों में हमारी गंभीर दिलचस्पी है जिन्होंने गहरे शोषण के विरुद्ध संघर्ष करते हुए और राज्य पुलिस के अत्याचारों के विरुद्ध आदिवासी जनों के आन्दोलन की पीठ पर सवार होकर लालगढ़, छत्तीसगढ़ के दंडाकारण्य में और कुछ अन्य क्षेत्रों में अपनी जडंे़ जमा ली हैं। लालगढ़ से पहले माओवादी गुरिल्लों ने गढ़चिरौली (महाराष्ट्र,) दांतेवाड़ा (छत्तीसगढ़), खुंटी (बिहार), कोरापुट (उड़ीसा), लतेहर, धामतारी (छत्तीसगढ़) आदि स्थानों पर पुलिस बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस (सी आरटीएफ) ,सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सी आरपीएफ) कर्मियों और कमांडों पर हमलों का एक सिलसिला चलाया, जिसमें इन बलों के 112 कर्मी मारे गए और अनेक जख्मी हुए। कोरापुट जिले के दामनजोडी़ में, जहाँ सीआईएसएफ के 8 कर्मी मारे गये थे, उनका हमला एक प्रतिष