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Showing posts from January 22, 2009

अब एक मधुशाला मेरी भी

संजय सेन सागर की हिंद युग्म द्वारा पुरुस्कृत कविता ''एक मधुशाला मेरी भी'' देश की गिरती साख पर, बेगुनाहों की ख़ाक पर अब एक आंसू धारा मेरी भी, राजनीतिज्ञों की प्यार बुझाने अब एक मधुशाला मेरी भी भूंखे की बासी रोटी पर, नारी की आधी धोती पर एक सरकार बनाने की, एक मनोकामना मेरी भी रोटी और कपडे का गम भुलाने अब एक मधुशाला मेरी भी आतंकवाद की जीत पर, मासूमों की चीख पर अब एक सहानभूति मेरी भी और आतंकवाद का जश्न मनाने अब एक मधुशाला मेरी भी नेता की खादी से लेकर, मयखाने की साखी से लेकर एक हिन्दोस्तां बचाने की, एक जुस्तजूँ मेरी भी नेता,मय और खादी को एक कराने अब एक मधुशाला मेरी भी! रहमान और राम से लेकर, बाइबिल और कुरान से लेकर सबको एक कराने की,एक ख्वाहिश मेरी भी! हिन्दू-मुस्लिम को आपस मे लड़ाने अब एक मधुशाला मेरी भी! हिंदी की ताकत से लेकर, अंग्रेजी की कूवत से लेकर एक रचना मेरी भी मासूम दिलों को जेहादी बनाने अब एक मधुशाला मेरी भी जूलियट के प्यार पर, हीर के इकरार पर अब एक दीवानगी मेरी भी, नाकाम आशिकों का गम मिटाने अब एक मधुशाला मेरी भी नर्मदा के कंचन जल से, भारत के पावन थल से एक संस्कृति बन

रमण महर्षि

विनय बिहारी सिंह तमिलनाडु में मदुरै से ३० मील दूर तिरुचुली में दिसंबर १८७९ में जन्मे रमण महर्षि ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर तिरुवन्नामलई में चले गए और वहीं गहन साथना की। वे तिरुवन्नामलई के पर्वतों को साक्षात भगवान शिव कहते थे। उन्होंने तिरुवन्नामलई की वीरुपाक्ष गुफा में अनेक वर्षों तक साधना की। रमण महर्षि के पास जो पांच मिनट भी बैठ जाता था, उसे गहरी शांति मिलती थी। यूरोप के एक लेखक पाल ब्रंटन ने उनकी ख्याति के बारे में सुना तो उनकी उत्सुकता बढ़ी। वे पहुंच गए रमण महर्षि के पास। वहां उनके साथ जो घटना घटी, उसने उनकी आंखें खोल दी। वे रात को एक मचान पर सोने की तैयारी कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि मचान पर एक जहरीला सांप चढ़ रहा है। उन्हें लगा कि आज उनकी मृत्यु निश्चित है। तभी रमण महर्षि का एक सेवक वहां आया औऱ सांप से आदमी की तरह बोला- ठहरो बेटा। यह अद्भुत घटना थी। सांप जहां का तहां रुक गया। सेवक ने सांप को प्यार से समझाया- ये हमारे मेहमान हैं। इनको डंस कर तुम क्या आश्रम की बदनामी करना चाहते हो? क्या बिगाड़ा है इन्होंने तुम्हारा? पुचकार कर सेवक ने कहा- आओ, नीचे उतर जाओ, पाल ब्रंटन साहब को

खो देना चहती हूँ तुम्हें.. Feel the words (Poem by Chhiyaishi )

सही है कि तुम चले गये, दूर अब मुझसे हो गये इतने वक़्त से भी कहाँ करीब थे, पर अब फाँसले सदा के लिए हो गये बात करने का तुमसे मन नहीं, कोई जवाब तुम्हारे खयाल का देना नहीं ना तुमसे कोई रिश्ता, ना अब कोई और चाह रही काश की तुम बीते दिनों से भी मिट जाओ, तुम्हारी यादें इस कोहरे में कहीं गुम जायें काश कि तुम्हारा नाम मुझे फिर याद न आये, ये याद रहे कि तुम मेरे कोई नहीं जो हो तुम मेरे कोई नहीं तो फिर भी क्यूं याद करती हूँ ये कह कर कि तुम मेरे 'कोई नही' चले जाओ तुम मेरे शब्दों से, ख्यालों से, इस वक्ये के बाद तो तुम जा चुके हो मेरे सपनों से भी नाम लेते ही साँसों में अब भी हलचल सी क्यूँ होती है क्यूँ किसी बात की आशा अब भी रहती है हाथों से तुम्हें छिटकना चाहती हूँ फिर भी एहसास छूटता क्यूँ नहीं चलते हुये गिरती हूँ तो आज भी क्यूँ तुम्हारा हाथ बढा देना याद आता है ये दिन - यह वाक्या बीता है तो फिर इसी तरह ज़िन्दगी आगे भी बढ जायेगी तुम्हारा तो पता नहीं, मुझे 'बूढे हो जाने पर ये-वो होगा' - वाली बातें याद आयेगीं चाहती हूँ इस सबके बाद भी तुमसे कभी मुलाकात ना हो सामना करने की हिम्मत जो खो बैठी ह

भारत के लोगों को असलियत से परहेज है क्या?

भारत की ग़लत तस्वीर की बात हो या असल जिंदगी की यहाँ लोगों का नजरिया ही विरोधी है इसी मुद्दे पर हम बात कर रहे है एक फ़िल्म को लेकर ! मुंबई की झोपड़पट्टी में रहने वाले एक लड़के की करोड़पति बनने की कहानी है, जिसने चार गोल्डन ग्‍लोब अवार्ड अपनी झोली में डाल लिये. फिल्म की स्टा र कास्ट मुंबई में जोरशोर से इस फिल्म का प्रचार करने में जुटी है लेकिन रिलीज होने से पहले ही ये फिल्म विवाद में फंस गई है.कुछ लोगों को फिल्म के नाम पर ऐताराज है कि झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों के लिए 'डॉग' शब्द का इस्तेमाल क्यों किया गया. पटना में एक शख्स ने सीजीएम कोर्ट में बाकायदा एक याचिका दर्ज करा दी है. मानवाधिकार आयोग, सेंसर बोर्ड और झुग्गी संघर्ष मोर्चा को भी चिट्ठी लिख दी गई है.याचिकाकर्ता की वकील श्रुति सिंह ने कहा कि यह नाम मानवीय मूल्‍यों के खिलाफ है. याचिका में फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' के किरदार अनिल कपूर और संगीतकार ए आर रहमान के खिलाफ आइपीसी की धारा 504 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई है. सपना तिवारी- का जन्म इंदौर में हुआ है और वे अभी मीडिया में एक फ़िल्म पत्रकार है उन्हें कहानी

बनिए ''कलम का सिपाही'' और जीतिए 1000 रुपए

सोच और ख्यालों की दुनिया - कवि का घर होता है , समय निकाल कर वह अक्सर उसकी छाया मे बैठ जाता है॥मेरा ही "मैं" शब्दों और अर्थों के बिना भी उसके अंतर्गत है तो मेरे ख्यालों से आपके ख़याल अछूते कैसे होंगे? "सुन्दरता" एक ऐसा चित्र है , जिसे तुम आँख बंद करने के बाद भी देख लेते हो और कान बंद करने के बाद भी सुन लेते हो...ठीक उसी तरह कल्पनाओं की धरती अपनी हो जाती है, जब हमारे हाथ मे कलम हो तो...ईसा मसीह ना हो कर भी एक कवि कील का दर्द गहराई से महसूस करता है, तो क्यूँ ना ऐसे दर्द , ऐसी कल्पनाओं को , हम बांटे इस आँगन मे बैठ कर....कुछ तुम कहो, कुछ हम - वक़्त गुज़र जायेगा... आपकी यह एक रचना देगी हिन्दी में एक नई जान,और हम आपको देंगे दिल से ढेर सारा सम्मान! इस प्रतियोगिता का विजेता जीतेगा !!१००० रुपए का नगद इनाम और साथ ही साथ प्रमाण पत्र !!आपकी कविता ५ फरबरी तक हम तक पहुँच जानी चाहिए !! अधिक जानकारी के लिए देखे !! हारी बाजी को जीतना है अगर तो यहाँ आओ...मन के दरवाज़े खुले हैं, जादुई कलम , जादुई शब्द बिखरे पड़े हैं , उन्मुक्त हो कर उठाओ , कल्पनाओं की उड़ान लो और शब्दों से कोना-कोना आच

KATRINA IS NOW IN LOVE WITH RANVIR KAPOOR

मुसलिम आतंकवादी नहीं होते।

ज्ञात है:- अमेरीका में हमला,ब्रिटेन में हमला ,मुम्बई पर हमला ,दुनिया में होने वाले अधिक्तर आतंकवादी हमला। सिद्ध करना है: - मुसलिम आतंकवादी नहीं होते। रचना: -इन हमलो के अभियुक्तो का मिलान करें। उपपत्ती:- इन सभी घटनाओं में पाये गये सभी अभियुक्त मुसलिम(आतंकवादी) हैं इससे कोई फर्क नहीं पडता।वो सिर्फ बहक गये थे।उनका बचाव दीनबन्धु व अजय मोहन जैसे बुकर पुरस्कार प्राप्त विजेता कर रहें है अत: इन सब तथ्यों से स्पष्ट होता है कि मुसलिम आतंकवादी नहीं होते। इति सिद्धम नोट :मेरे ब्लोग पर कोई मुसलिम (आतंकवादी) कमेन्ट ना करे मुझे नफरत है उनसे

मरफी के नये नियम

अगर आप हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पे आवाज उठाते हैं तो आप भगवा होते हो चाहे आप दुनिया के किसी कोने में रहते हों।(जैसा कि अजय मोहन जी [फंडू सेक्युलरिस्ट]ने मुझे घोषित किया{धन्यवाद})  अगर आप बुकर या मैग्सेसे पुरस्कार पाना चाहते हैं तो अफजल गुरू ,कशाब,दाउद के मानवाधिकार की बात करें यकीन माने पक्का मिलेगा।(अगला नामांकन अजय मोहन जी का तय) दुनिया का सबसे चूतिया धर्म हिन्दु है आप इनपे कहीं भी धौंस जमा सकते हैं हिन्दुस्तान में भी अगर आप मुसलिम(आतंकवादी) हैं और आप इन्डिया में हैं तो आप मलाई काटने के लिये तैयार रहें अगर आप मुसलिम(आतंकवादी) हैं और आप मंत्री हैं तो आप कुछ भी कह सकते हैं और आप का कोई बाल भी बाका नहीं कर सकता