Skip to main content

Posts

Showing posts from April 6, 2013

युवाओं में लोकप्रिय 'मस्तराम' पर बनेगी फिल्म, लेकिन नहीं होगी अश्लील

अखिलेश जायसवाल ‘मस्तराम’ नामक फिल्म बनाने जा रहे हैं। विगत सदी के मध्यकाल में ‘मस्तराम’ नामक काल्पनिक नाम से कोई व्यक्ति अश्लील किताबें लिखता था, जिन्हें उस दौर के अधिकांश कमसिन उम्र के लोग चोरी-छुपे पढ़ते थे।   मध्यप्रदेश और राजस्थान तथा ग्रामीण महाराष्ट्र क्षेत्र में ‘भांग की पकौड़ी’ नामक अश्लील उपन्यास युवा लोगों में अत्यंत लोकप्रिय था। अध्यात्मवादी भारत में सेक्स विषय को प्रतिबंधित किया गया, इसलिए मस्तराम और भांग की पकौड़ी जैसी गैर वैज्ञानिक एवं नितांत घातक किताबें चोरी छुपे खूब पढ़ी गई हैं और 21वीं सदी में भी इस विषय को प्रतिबंधित ही रखा गया है तथा पाठ्यक्रम में कभी शामिल नहीं किया गया है, जिस कारण मनोवैज्ञानिक गुत्थियां कमसिन उम्र के अपने भूत रचती रही हैं।   अखिलेश दावा कर रहे हैं कि वे मस्तराम की काल्पनिक आत्मकथा पर फिल्म रच रहे हैं और अश्लीलता से अपनी फिल्म को बचाए रखेंगे।   कमसिन उम्र एक अलसभोर है, जिसमें अंधेरा ज्यादा और रोशनी कम होती है। आज इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील फिल्में कम वय के लोगों को जीवन के सत्य का एक अत्यंत काल्पनिक और फूहड़ स्वरूप उपलब्ध करा रही है