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Showing posts from December 25, 2009

लो क सं घ र्ष !: विधायिका पर अपराधियों का कब्ज़ा

राजनीति पर अपराधियों का कब्ज़ा हो गया है । आए दिन कोई न कोई राज़नीतज्ञ किसी न किसी घोटाले में लिप्त नजर आ रहा है । कांग्रेस के 85 वर्षीय नेता श्री नारायण दत्त तिवारी जो राज्यपाल हैं । सेक्स स्केण्ड़ल में उनका नाम आया है । इससे पूर्व श्री तिवारी जैसे राजनेता का नाम सेक्स स्केण्ड़ल में आ चूका है । इन राजनेताओं का चरित्र देखकर लगता है कि यह सब समाज के लम्पट तत्व हैं और इन्होने अपनी यूनियन बनाकर विधायिका पर ही कब्ज़ा कर लिया है । सुमन loksangharsha . blogspot .com

प्रभु चावला का राखी प्रेम

- रिपोर्ट : मीडियाखबर.कॉम, 24-Dec-09 राखी सावंत आजतक पर एक बार फिर से थी . राखी से 'खास मुलाकात' कार्यक्रम में एक्सक्लूसिव बातचीत की जा रही थी. सवाल पूछने के लिए उनके सामने बैठे थे - प्रभु चावला. कार्यक्रम शुरू होता है और अपने चिर परिचित अंदाज में वे कहते हैं - मैं हूँ प्रभु चावला.आज की खास मुलाकात में खास मेहमान हैं केवल अपने किस्म की एक भारतीय नारी राखी सावंत. आपका बहुत - बहुत स्वागत है. यह कहते-कहते प्रभु चावला पूरी खुशमिजाजी दिखाते हैं. हमेशा की तरह बोल्ड और बिंदास कपड़ों में लिपटी राखी भी नमस्कार से जवाब देती हैं और इंटरव्यू का सिलसिला शुरू हो जाता है. प्रभु चावला का पहला सवाल - आप भारतीय नारी हो ? राखी का जवाब - भारतीय नारी कहिये मुझे. सब पर भारी कहिये. भारतीय नारी सब पर भारी .... प्रभु चावला का अगला सवाल - आजकल राखी सावंत क्या हैं? आपका स्टेट्स क्या है? राखी का जवाब - मैं आजकल सिर्फ प्रभु चावला जी की फेवरिट हूँ… आप समझ रहे होंगे कि राखी का यह कोई पैंतरा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. वाकई में राखी सावंत - आजतक और प्रभु चावला के फेवरेट हैं. यह सांतवा मौका था जब

'बड़ा दिन' --संजीव 'सलिल'

'बड़ा दिन' संजीव 'सलिल' हम ऐसा कुछ काम कर सकें हर दिन रहे बड़ा दिन अपना. बनें सहायक नित्य किसी के- पूरा करदें उसका सपना..... * केवल खुद के लिए न जीकर कुछ पल औरों के हित जी लें. कुछ अमृत दे बाँट, और खुद कभी हलाहल थोडा पी लें. बिना हलाहल पान किये, क्या कोई शिवशंकर हो सकता? बिना बहाए स्वेद धरा पर क्या कोई फसलें बो सकता? दिनकर को सब पूज रहे पर किसने चाहा जलना-तपना? हम ऐसा कुछ काम कर सकें हर दिन रहे बड़ा दिन अपना..... * निज निष्ठा की सूली पर चढ़, जो कुरीत से लड़े निरंतर, तन पर कीलें ठुकवा ले पर- न हो असत के सम्मुख नत-शिर. करे क्षमा जो प्रतिघातों को रख सद्भाव सदा निज मन में. बिना स्वार्थ उपहार बाँटता- फिरे नगर में, डगर- विजन में. उस ईसा की, उस संता की- 'सलिल' सीख ले माला जपना. हम ऐसा कुछ काम कर सकें हर दिन रहे बड़ा दिन अपना..... * जब दाना चक्की में पिसता, आटा बनता, क्षुधा मिटाता. चक्की चले समय की प्रति पल नादां पिसने से घबराता. स्नेह-साधना कर निज प्रतिभा- सूरज से कर जग उजियारा. देश, धर्म, या ज