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Showing posts from December 19, 2009

लो क सं घ र्ष !: देश के साथ विश्वासघात

केंद्र सरकार के पूर्व रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2008 तक भारतीय रेल को हजारों करोड़ रुपये के मुनाफे में दिखाया था । तब प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने बड़े जोर - शोर से लालू प्रसाद के अर्थ शास्त्र के प्रशंसा के गीत गए थे । रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समय प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह थे और आज भी प्रधानमंत्री वह हैं और रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने संसद में श्वेत पत्र पेश कर पूर्व कार्यकाल प्रधानमंत्री के समय के घोटाले को संसद के अन्दर बेनकाब कर रही हैं । यह भी हो सकता है कि भविष्य में आने वाला रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी की पोल खोलने के लिए श्वेत पत्र लाये । कबिनेट के फैसले सामूहिक होते हैं । यदि यह सब बाजीगरी हुई है तो प्रधानमंत्री के ऊपर कोई भी जिम्मेदारी नियत है की नहीं । कांग्रेस पार्टी कि सरकार के प्रधानमंत्री रहे पी वी नरसिम्हाराव , बाबरी मस्जिद का ध्वंस होता रहा और वह मूकदर्शक बने रहे । वही स्तिथि वर्तमान प्रध

नारी और भगवान...........

नारी और भगवान..... दुनिया भर का दर्द , क्या मेरे ही जीवन में ! दुनिया भर के काटे , क्या मेरी ही राहों में ! दुनिया भर की नफरत , क्या मेरी ही सूरत में ! जब शिकायत भी करू खुदा से , तो खुदा कहते है हमसे , न ही तुम इंसान हो , जिसे मैंने बनाया है मिटी से , न ही तुम फोलाद हो , जिसे मैने बनाया है इच्छाशक्ति से , तुम तो केवल रहस्य हो ! जिसे मैने बनाया है खुद अपने हाथो से ! जिसे मैने बनाया है खुद अपने सपनो से ! जिसे मैने बनाया है खुद बड़े प्यार से ! जिस दिन समझा जाओगी इस बात को , उस दिन समझ जाओगी अपने जीवन को ! क्यों दर्द है दुनिया भर का तेरे जीवन में ! धरती पर जनम लेने वाला हर शख्स मेरा ही इक अंश है ! इक दिन मुझ में ही आकर मिल जाता है ! अपनी बनाई हुई इन कठपुतलियों से , मिला दर्द , कांटे , नफरत जब सब में सहता हु , तब तुम भी सह सकती हो वो सब , क्योकि ........ तुम उन सब से अलग जो हो ! मेरे सब से करीब जो हो ! मेरा ही दूसरा रूप हो तुम ! मै करता हु तुम्हारी इब्बादत ! तुम कर्ति हो मेरी बनाई हुई , इस सम्पूरण कायनात की इबादत ! मै रखता हु नारी हदय , और तुम ........ तुम तो सम्पूरण नारी हो ! ठहर

पहल उनकी.............

दुनिया में कब, कहा किस मोड़ पर हो उनसे मुलाकात , न वो जानते है न हम ! मगर ....... इंतजार उनको भी है , ऐसे ही किसी मोड़ का , इंतजार हम को भी है , ऐसे ही किसी मोड़ का ! सोचते है वो भी अक्सर , बारे में हमारे कुछ ऐसा ही ! मगर ............. जानते वो भी कुछ नहीं , जानते हम भी कुछ नहीं , मगर .................. पहल उनकी , पहल उनकी करते -करते , रफ्ता - रफ्ता , स्टेशन से गाड़ी कब की छुट गई ! किसी सुहाने मोड़ का इंतजार करते - करते , जाने वो हसीं ख़वाब कितने मोड़ पीछे हम से , छुट गया ! और ............... हम सोचते ही रहा गए , उस हसीं मोड़ के इंतजार में , तनहा - तनहा ! डॉ . मंजू डागर manndagar @ yahoo . com

मेरे मन की आवारगी .............

My Flirting mann मेरे मन की आवारगी ............. कभी भटकती है शहरों की अँधेरी रातो में ! तो कभी भटकती है गाँव की अल्हड़ पगडंडियो में ! मेरे मन की आवारगी ............. कभी भटकती है खुसरो की रूबाइयो में ! तो कभी भटकती है आजमी की गज़लों में ! मेरे मन की आवारगी .............. कभी भटकती है कवि प्रदीप के गीतों में ! तो कभी भटकती है ख़य्याम की गज़लों में ! मेरे मन की आवारगी .............. कभी भटकती है नील गगन के विस्तृत पटल पर ! तो कभी भटकती है सागर की तलहटी में ! मेरे मन की आवारगी ...............!