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Showing posts from June 20, 2010

प्रस्‍तुतोमि तद्दृष्‍यं यद्दृष्‍ट्वा सर्वेभारतीया: प्रसन्‍तामनुभवेयु: ।।

हिन्‍दी भाषायां पठितुम् अत्र बलाघात: करणीय:                   प्रस्‍तुतोमि तत् दृष्‍यं यद्दृष्‍ट्वा सर्वे भारतीया: प्रसन्‍नतामनुभविष्‍यन्ति । भवन्‍त: चिन्‍तयन् सन्ति यत् तावत अहं किं दर्शयितुम् इच्‍छामि ।  स्‍वयमेव पश्‍यन्‍तु । अस्ति एतत् दृष्‍यं लखनउनगरस्‍य, निरालानगरक्षेत्रस्‍य शिशुमन्दिरे आयोजितस्‍य 10 दिवसीयसंस्‍कृतआवासीयप्रशिक्षणशिविररस्‍य , यत्र सम्‍भवत: 250 प्रशिक्षार्थय: 10 दिवसपर्यन्‍तं  संस्‍कृतसम्‍भाषणस्‍य शिक्षां गृहीतवन्‍त:।    शिविरआयोजनस्‍य नवमे दिने नगरभ्रमणम् आयोजितम् , सरस्‍वतीशिशुमन्दिरत: श्रीरामकृष्‍णमठम् । वदतु संस्‍कृतम्, जयतु भारतम् । जयतु जयतु संस्कृत भाषा, वदतु वदतु संस्‍कृतभाषा । ग्रामे ग्रामे नगरे नगरे संस्कृत भाषा इति उद्घोषात् सम्‍पूर्ण विश्‍व जनु गुंजायमान: आसीत् ।  शिविरायोजनस्‍य दशमे दिने प्रात: 3वादने भारतमातु:  मानचित्रे सर्वे छात्रा: शिक्षका: च पुष्‍पार्पणं कृतवन्‍त: । भारतमातु: मानचित्रं  दीपै: सज्जितं कृतम् ।  भवन्‍त: अस्मिन्  चित्रे भारतमातु: पवित्रविग्रह: द्रष्‍टुं शक्‍नुवन्ति । सार्धं भोजनं कुर्वन्‍त: छात्रा:। अनेन प्रका

लो क सं घ र्ष !: बटाला हाउस इन्काउन्टर - 1

फोटो सोर्स : hardnewsmedia.com बटाला हाउस इन्काउन्टर के डेढ़ वर्ष बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से इन्काउन्टर के न्यायिक जाँच की माँग में फिर तेजी आ गई है। मानवाधिकार के विभिन्न संगठन और आम लोग इस इन्काउन्टर पर लगातार प्रश्न उठाते रहे हैं और अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उनके सवालों को अधिक गंभीर बना दिया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र अफरोज आलम साहिल ने इस तथाकथित इन्काउन्टर से सम्बंधित विभिन्न दस्तावेजों की प्राप्ति के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लगातार विभिन्न सरकारी एवम् गैर सरकारी कार्यालयों का दरवाजा खटखटाया किन्तु पोस्टर्माटम रिपोर्ट की प्राप्ति में उन्हें डेढ़ वर्ष लग गए। अफरोज आलम ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकर से उन दस्तावेजों की माँग की थी जिनके आधार पर जुलाई 2009 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी थी। ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट देते हुए पुलिस का यह तर्क मान लिया था कि उसने गोलियाँ अपने बचाव में चलाई थीं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए दस्तावेजों में पोस्टमार्टम रि

स्लिम भाई भुत कमाल के हो

जनाब स्लिम भाई आपकी हिम्मत कुवत को में दाद देता हूँ आपने जिस तरह से स्वदेश के नाम पर देश को एक सूत्र में पिरोने और पिछड़े पीड़ितों को इन्साफ दिलाने के लियें कोशिशें तेज़ की हे उससे हो सकता हे राजनेता जो केवल और केवल वोटों को ही अपनी दुनिया समझते हे उनके पेट में दर्द होना वाजिब हे यकीन यह अपना हिन्दुस्तान हे यहाँ कुछ गिनती के क्न्सुरे हें तो अधिकतम प्र्यारे प्यारे भाई भी हे जिनके सहारे हम और आप अपनी दुनिया में खिल खिला रहे हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान