( मेरा क्या कर लोगे ) यूनियन कार्बाईड के प्रमुख वारेन एंडरसन की गिरफ्तारी के बाद शासक दल ने और सरकार के अधिकारियों ने जिस तरह से उसकी मदद की है वह अपने में एक महत्वपूर्ण उदहारण है । वैचारिक स्तिथि में हम लोग यूरोपीय और अमेरिकन भक्त हैं हमारे वहां का अभिजात्य वर्ग पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद की चापलूसी में लगा रहता था और अब अमेरिकन साम्राज्यवाद की चापलूसी में लगा रहता है। हम सबको याद होगा की राष्ट्रवाद के प्रबल प्रवक्ता व तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के अमेरिका यात्रा पर वहां के राष्ट्रपति ने शराब का भरा गिलास इनके ऊपर गिरा दिया था, सब चुप रहे। तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री जार्ज फर्नांडीज जब अमेरिका यात्रा पर गए तो वहां प्रोटोकॉल के विपरीत जामा तलाशी हुई और कोई विरोध नहीं हुआ। मनमोहन सिंह जी तो अमेरिका में काफी दिन रहकर नौकरी किये हैं वह कैसे विरोध कर सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के ये सब राजनेता चाकर होते हैं। डी.एम और एस.पी नियमित रूप से वहां से पगार पाते हैं। न्याय व्यवस्था के भी अधिकारी पीछे नहीं रहते हैं। इन कंपनियों के अधिकारी होली-दिवाली से लेकर ईद-बकरीद