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Showing posts from June 11, 2010

लो क सं घ र्ष !: एंडरसन की चाकरी- भोपाल गैस काण्ड

( मेरा क्या कर लोगे ) यूनियन कार्बाईड के प्रमुख वारेन एंडरसन की गिरफ्तारी के बाद शासक दल ने और सरकार के अधिकारियों ने जिस तरह से उसकी मदद की है वह अपने में एक महत्वपूर्ण उदहारण है । वैचारिक स्तिथि में हम लोग यूरोपीय और अमेरिकन भक्त हैं हमारे वहां का अभिजात्य वर्ग पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद की चापलूसी में लगा रहता था और अब अमेरिकन साम्राज्यवाद की चापलूसी में लगा रहता है। हम सबको याद होगा की राष्ट्रवाद के प्रबल प्रवक्ता व तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के अमेरिका यात्रा पर वहां के राष्ट्रपति ने शराब का भरा गिलास इनके ऊपर गिरा दिया था, सब चुप रहे। तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री जार्ज फर्नांडीज जब अमेरिका यात्रा पर गए तो वहां प्रोटोकॉल के विपरीत जामा तलाशी हुई और कोई विरोध नहीं हुआ। मनमोहन सिंह जी तो अमेरिका में काफी दिन रहकर नौकरी किये हैं वह कैसे विरोध कर सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के ये सब राजनेता चाकर होते हैं। डी.एम और एस.पी नियमित रूप से वहां से पगार पाते हैं। न्याय व्यवस्था के भी अधिकारी पीछे नहीं रहते हैं। इन कंपनियों के अधिकारी होली-दिवाली से लेकर ईद-बकरीद

फुटबॉल और हम

राजदीप सरदेसाई कुछ लोगों का विश्वास है कि फुटबॉल जिंदगी और मौत का मामला है। मैं इस रवैए से बहुत निराश हूं। मैं आपको पक्का यकीन दिला सकता हूं कि जीवन इससे कहीं, कहीं, कहीं ज्यादा कीमती है। - महान लिवरपूल फुटबॉल कोच बॉब पेस्ले। यदि खेल आधुनिक युग का धर्म है तो फिर आने वाले पांच हफ्तों तक फुटबॉल एक वैश्विक पूज्य देवता होगा। अन्य किसी खेल ने इतनी सफलतापूर्वक पूरी दुनिया में लाखों लोगों के मन को नहीं छुआ है, जितना कि इस ‘खूबसूरत खेल’ ने। फीफा वर्ल्ड कप में 32 देश आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगे। इस प्रतिस्पर्धा में छोटे से देश स्लोवेनिया से लेकर पांच बार वर्ल्ड कप जीतने वाला विशालकाय देश ब्राजील तक शामिल है। 1930 में जब पहली बार वर्ल्ड कप हुआ था, तब से लेकर अब तक काफी कुछ बदल चुका है। तब मुश्किल से 13 देशों ने मोंटेवेडियो (उरुग्वे की राजधानी, जहां पहला वर्ल्ड कप हुआ था) की यात्रा की थी। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका तक के सफर में 208 देशों ने शिरकत की (ओलिंपिक और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से भी ज्यादा बड़ी संख्या)। यद्यपि एक चीज अब तक नहीं बदली है : भारत अब भी हाशिए पर बैठकर ही इ