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Showing posts from May 16, 2009

ग़ज़ल

उदास क्यों हो उदास क्यों हो तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो उदास होने से फ़ायदा क्या बताओ रोने से फ़ायदा क्या जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो नए रास्ते तुम निकालो उड़ान टूटे परों में भर लो हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो उदास क्यों हो उदास क्यों हो तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .

ग़ज़ल

उदास क्यों हो उदास क्यों हो तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो उदास होने से फ़ायदा क्या बताओ रोने से फ़ायदा क्या जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो नए रास्ते तुम निकालो उड़ान टूटे परों में भर लो हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो उदास क्यों हो उदास क्यों हो तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .

Loksangharsha: यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....

सत्ता की लाठी से गुंडे , जबरन भैंसी हथियाए रहे । न्याय के खातिर घिसई काका , कोर्ट मा घिघियाये रहे ॥ यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम .... धूर्त सियारऊ गीता बांचै , बैठ बिल्लैया कथा सुन रही । भेङहे करें संत सम्मलेन , गदहन की घोड़ दौड़ होए रही ॥ यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम .... नंग धड़ंग नन्हे मुन्ने , लोटी धूल गुबारन मा । टामी मेम की गोद मा सोवैं , घूमे ए . सी कारन मा ॥ यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम .... ठग - बटमार , छली - कपटी , अब पहिरैं साधुन कै चोला । मुंह से राम - राम उच्चारैं , बगल मा दाबे हथगोला ॥ यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम .... -मोहम्मद जमील शास्त्री

Loksangharsha: यूँ भी रस्मे वफ़ा...

यूँ भी रस्मे वफ़ा हम निभाते रहे ॥ चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे ॥ दिल की महफिल सजायी थी हमने मगर - वो रकीबो के घर आते - जाते रहे ॥ आ गए वो तसस्वुर में जब कभी - मीर के शेर हम गुनगुनाते रहे ॥ देखकर जिनको चलने की आदत न थी - ठोकरे हर कदम पर वो खाते रहे जब भी ' राही ' बुरा वक्त हम पर पड़ा - हमसे अपने ही दामन बचाते रहे ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल '' राही ''

सभी ब्लागर बंधुओं से एक अपील

अंकित माथुर: ब्लाग के सभी सदस्यों से सहायता हेतु एक अपील आदरणीय संचालक महोदय, एवं समस्त ब्लाग सदस्य गण। आप सभी से एक अपील है, मेरे परिचय में एक परिवार के साथ दुर्भाग्यवश एक अप्रत्याशित घटना घटित हो गई है। मामला कुछ यूं है। मेरे परिचित और उनके परिवार के कुछ सदस्य दिनांक ६ मई २००९ को मरुधर एक्स्प्रेस में एस ७ कोच संख्या में यात्रा कर रहे थे। अचानक ट्रेन टूंडला स्टेशन के आउटर पर कुछ समय के लिए रुकी व मेरे परिचित परिवार की पुत्र वधू श्रीमति कोमल तोतलानी परिवार के सदस्यों को बताकर टायलेट गईं। इसी दौरान ट्रेन चल दी, टूंडला के बाद २०-२५ मिनट तक भी जब वे वापस नहीं आईं तो परिवारीजनों द्वारा इनकी खोज की गई, पूरी ट्रेन में इन्हे खोजा गया लेकिन इनका कोई पता नहीं चल पाया। टूंडला थाने के पर इनकी गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पूरे मामले में स्थानीय एव जी आर पी पुलिस के हाथ कोई भी सूत्र नहीं लग पाया है।  किसी भी व्यक्ति ने ना तो परिवार के साथ कोई संपर्क स्थापित किया है न ही किसी प्रकार की सूचना प्रेषित की है। इस मामले में जी आर पी के पुलिस अधिकारी उपेंद्र कुमार अग्रवाल का कहना है कि अभी तक इस प्