खुशवंत सिंह जालंधर का अटवाल परिवार शहर का सबसे संपन्न और सम्मानित परिवार है। उनका घर सात बेडरूम की विशाल हवेली है, जिसमें स्वागत कक्ष, भोजन कक्ष, गुरुद्वारे के लिए एक अलग कमरा, बिहारी सेवकों के लिए सर्वेट क्वार्टर्स और एक विशाल बगीचा है। वे कीर्तन और अखंड पाठ करवाते रहते हैं। उदारता और खुले मन से परमार्थ के कामों में भी लगे रहते हैं : एक क्लिनिक, एक स्कूल और संस्थाओं को दान। परिवार के प्रमुख को संत जी कहा जाता है, क्योंकि वह संत स्वभाव के इंसान हैं। उनकी पत्नी को सभी मां सुक्खी कहते हैं, क्योंकि सभी उनकी ओर दैवीय मां की तरह देखते हैं। उनके बेटे हैं और दो बेटियां। बेटियों दुर्गा और शारदा का वे बहुत लाड़-प्यार से पालन नहीं करते, महज इसलिए कि जमींदार जाट परिवारों में बेटियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती। अचानक शारदा रहस्यमय ढंग से गायब हो जाती है। कोई नहीं जानता कि वह कैसे और कहां गई। फिर बारिश के मौसम में एक रात बेटी दुर्गा को छोड़कर परिवार के बाकी सभी सदस्यों को खाने में चूहों को मारने वाला जहर दे दिया जाता है और चाकुओं से गोदकर मार दिया जाता है। घर को आग लगाने की कोशिश भी की