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Showing posts from May 12, 2009

मैं अभी कुछ दिन तक नहीं लिखूंगा !!!!!

प्रि ये दोस्तों, पाठको और आलोचकों सबको मेरा प्यार भरा सलाम, बड़े दुःख के साथ मुझे आप लोगो को सूचित करना पड़ रहा है की कुछ दिनों के लिए मुझे अपने प्रिये ब्लॉग से दूर रहना पड़ेगा.... पता नही कुछ दिनों से लगातार सर मे दर्द था डॉक्टर को दिखाया तो उसने सारी बात बताने के बाद एक शिफुगा छोड़ दिया की मैं बिल्कुल अपने कंप्यूटर से दूर रहूँ। यह सुनने के बाद मेरे पिताजी ने साफ़ तौर पे कह दिया की आप कंप्यूटर रूम आगे पढ़े ....

धार्मिक स्थल पर भी वेश्यावृत्ति

sahiba kuershi सीबीआई के निदेशक अश्विनी कुमार ने देश में बढ़ते सेक्स पर्यटन पर चिंता जताते हुए कहा है कि धार्मिक स्थल भी इसके असर से अछूते नहीं रह गए हैं। देश के धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर इस अपराध (सेक्स पर्यटन व वेश्यावृत्ति) का प्रभाव देखा जा रहा है। ‘संगठित अपराध और मानव तस्करी’ विषय पर यहां आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के दौरान उन्होंने कहा कि देश में पिछले कुछ वर्र्षो में सेक्स पर्यटन (जिसमें अधिकांश बच्चों से जुड़े मामले शामिल हैं) और वेश्यावृत्ति तेजी से अपराध के रूप में उभर कर सामने आए हैं। अश्विनी कुमार ने कहा कि मानव तस्करी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध माना जाता है। इसमें भारत का अपना एक अलग स्थान है। वह इस अपराध के स्रोत व गंतव्य दोनों के तौर पर जाना जाता है। यहां पर सप्लायर और कस्टमर दोनों ही बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यहां ८५ फीसदी मानव तस्करी घरेलू मांग पूरी करने के लिए की जाती है। उन्होंने डांस बार्स पर हुई कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कहा कि इससे बच्चों व महिलाओं की तस्करी पर रोक लगी है। सेमिनार का उद्घाटन करने वाले केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने कहा कि मानव तस

Loksangharsha: यह क्या है ? -2

भाजपा और आर्गनाइज़र की इस गोल - गोल जलेबी का , जिसे वह बड़ा ही सम्मानजनक दार्शनिक - वैचारिक रूप देने का प्रयत्न कर रहे है , मतलब अगर साफ़ - सीधी वैचारिक - राजनैतिक भाषा में निकला जाए तो इस प्रकार है - भारत की सभ्यता और संस्कृति केवल हिन्दुओं ने बनाई (वह भी केवल उपरी वर्णों /जातियों ने क्योंकि निचली और अछूत जातियों को तो भाजपा पसंद नही करता!) ,भारत में कोई मिलीजुली संस्कृति सभ्यता नही,आजादी के बाद भारत ने धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव के रास्ते पर चलकर भारी गलती की और जनता की संवेदनाओ को ठेस पहुंचाई और इसी देश में आतंकवाद और सम्प्रदायवाद पैदा हुआ! होना यह चाहिए था की देश के शासको को भाजपा-मार्का सम्प्रदायवाद अपनाना चाहिए था । इस प्रकार भाजपा - आर एस एस बड़ी चालाकी से एक जटिल और पाखंडपूर्ण विचार प्रणाली के रूप में अपनी सांप्रदायिक , विभाजनकारी विचारधारा विकसित करने की कोशिश कर रही है । उसे बड़ी चालाकी से इस प्रकार पेश किया जा रहा है की असलियत का पता भी न चले और असली मूल दक्षिणपंथी प्रतिक्रिया का सांप्रदायि

Loksangharsha: छूट गया बचपन

उम्र की सीढिया चढ़ते हुए , जाने कब किस सीढ़ी पर छूट गया बचपन । मन पर बङ्प्पन के खोल चढाकर चला आया हूँ मैं इतनी दूर फिर भी क्यों टीस उठती है बार - बार , उस बिछङे हुए बच्चे की याद ? बीते हुए बचपन में फिर फिर लौट जाने की क्यों होती है चाह ? अकेले में , जब कभी आईने के सामने , खुशी में त्यौहार में , कभी - कभी भीड़ के सामने , कहाँ से प्रकट हो जाता है वह ? पलके झपकते , मुहँ चिढाते , बच्चो के साथ फिर से बच्चा बना देता है मुझे । जब भी कोई खुशी असह्य दुःख गहरा , उतार देता है बङप्पन का नकाब पल दो पल के लिए बाहर निकल आता है बचपन लेकिन बाकी सारे समय , दिल के किसी अंधेरे कोने में किसके डर से छिपा रहता है वह ? छटपटाता , कसमसाता रहता है बचपन । - अनूप गोयल