मै प्रेम नगर की rअहने वाली॥ प्रेम की प्रेम दीवानी हूँ,। वह तो मेरा प्रेम दीवाना॥ मै उसकी घरवाली हूँ॥ सात साल पर बात हुयी थी॥ तेरह साल में हुयी मुलाक़ात॥ सोलह साल की भइल उमारिया॥ सूझे लाग उल्का पात॥ मै यौवन से भरी पूरी हूँ॥ मै उनकी मस्तानी हूँ॥ वह तो मेरा प्रेम दीवाना॥ मै उसकी घरवाली हूँ॥ नैन मेरे नाजुक लगत है॥ होठ नहीं किये रसपान॥ केश घनेरी हर हर डोले॥ करके आयी हूँ स्नान॥ रोक न पाऊ गी अपने को॥ मै उसकी प्रेम की डाली हूँ॥ चमके देहिया रूप सलोना॥ गमके अंगना कोना कोना॥ हंस देती तो मोती गिरते॥ दर लगता है लगे न टोना॥ बर्दाश्त की सीमा तोड़ चुकी हूँ॥ मै सपनों की क्यारी हूँ॥ वह तो मेरा प्रेम दीवाना॥ मै उसकी घरवाली हूँ॥