विनय बिहारी सिंह आप अक्सर सुनते हैं- अरे बहुत दयालु मत बनो, यह जमाना अच्छाई का नहीं है। सुन कर हैरानी होती है। अरे तो जमाना अच्छाई का नहीं है तो क्या हमेशा बुरा काम करें? क्या मतलब है इस जुमले का? मान लीजिए कि सभी यही सोचने लगें कि यह जमाना भलाई करने वालों के लिए नहीं है, तो हर आदमी बुरा काम करने लगेगा। फिर? तब क्या यह धरती कैसी होगी? अगर हम किसी पर भरोसा नहीं करें, सबको शक की निगाह से देखें, भला काम करने से परहेज करें तो कैसा माहौल बनेगा? हालांकि मौजूदा माहौल भी कम जटिल नहीं है। फिर भी इस पृथ्वी पर अच्छे लोग हैं और वे लगातार अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें हम, आप भले ही नहीं जानते या पहचानते, लेकिन वे अनजान रह कर अच्छा काम करने में आनंद पाते हैं। ऐसा कभी हुआ ही नहीं है कि यह पृथ्वी सिर्फ बुरे लोगों से ही भर गई हो। लंका में भी विभीषण जैसा व्यक्ति मौजूद था। विभीषण ने राम- रावण युद्ध में निर्णायक भूमिका अदा की। कैसे कह दें कि यह जमाना सिर्फ चोरों, डकैतों और लुटेरों का है। हां, ऐसे भ्रष्ट, बेईमान और अनैतिक लोग देश, समाज औऱ भावी पीढ़ी के भविष्य की चिंता न कर घनघोर अन्याय कर रहे हैं। यह