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Showing posts from January 13, 2010

मुक्तक / चौपदे संजीव वर्मा 'सलिल'

मुक्तक / चौपदे आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.कॉम / संजिव्सलिल.ब्लॉग.सीओ.इन सलिल.संजीव@जीमेल.com साहित्य की आराधना आनंद ही आनंद है. काव्य-रस की साधना आनंद ही आनंद है. 'सलिल' सा बहते रहो, सच की शिला को फोड़कर. रहे सुन्दर भावना आनंद ही आनंद है. ****************************8 ll नव शक संवत, आदिशक्ति का, करिए शत-शत वन्दन ll ll श्रम-सीकर का भारत भू को, करिए अर्पित चन्दन ll ll नेह नर्मदा अवगाहन कर, सत-शिव-सुन्दर ध्यायें ll ll सत-चित-आनंद श्वास-श्वास जी, स्वर्ग धरा पर लायें ll **************** दिल को दिल ने जब पुकारा, दिल तड़प कर रह गया. दिल को दिल का था सहारा, दिल न कुछ कह कह गया. दिल ने दिल पर रखा पत्थर, दिल से आँखे फेर लीं- दिल ने दिल से दिल लगाया, दिल्लगी दिल सह गया. ****************************************** कर न बेगाना मुझे तू, रुसवा ख़ुद हो जाएगा. जिस्म में से जाँ गयी तो बाकी क्या रह जाएगा? बन समंदर तभी तो दुनिया को कुछ दे पायेगा- पत्थरों पर 'सलिल' गिरकर व्यर्थ ही बह जाएगा.

लो क सं घ र्ष !: इस देश का क्या होगा ?

' न्यायिक स्वतंत्रता किसी न्यायधीश का विसेशाधिकार नहीं बल्कि वह कानून और साक्ष्य के आधार पर इमानदारी और निष्पक्षता से निर्णय करने के लिए प्रत्येक न्यायधीश पर डाली गयी जिम्मेदारी है । ' - माननीय दिल्ली हाई कोर्ट माननीय उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश ए . पी शाह की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ ने माननीय उच्चतम न्यायलय की याचिका को ख़ारिज कर दिया । सवाल यह था कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार जनता को न्यायपालिका से है या नहीं , यह विवाद काफी दिन से चल रहा था । चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया का कहना था कि उनका पद सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नहीं आता है । जिसको लेकर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली उच्च न्यायलय में एक याचिका दाखिल की थी । दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसपर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का निश्चय किया है । जब माननीय