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Showing posts from February 24, 2009

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो.....

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो..... ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !! आग के जलते ही तुम बुझा दो इसे सब कुछ ही ख़ाक ना हो जाए कहीं !! अपने मन को कहीं संभाल कर रख तेरे दामन में दाग ना हो जाए कहीं !! तेरी जानिब इसलिए मैं नहीं आता !! मेरी नज़रें तुझमें ही खो जाए ना कहीं !! खामोशी से इक ग़ज़ल कह गया"गाफिल" इसके मतलब कुछ और हो जाए ना कहीं !!

व्योम श्रीवास्तव की सदयस्ता समाप्त कर दी गयी है

व्योम जी हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग मे एक अच्छे लेखक की हैसियत से जाने जाते है लेकिन आजकल उन्होंने जिस तरह की पोस्ट ब्लॉग पर पोस्ट की बह हमारा मकसद नहीं थी सो उनकी सदस्यता समाप्त की जाती है,ऐसा न हीं है की यह अचानक किया जा रहा है बल्कि पहले भी उन्हें खुद को बदलने का समय दिया गया था ,लेकिन वो अपने फैसले पर अडिग थे !उनके इस रवैये को आप चंद घंटों पहले की गयी पोस्ट पर समझ सकते है , उनकी इस बजह से ''हिन्दुस्तान का दर्द'' ब्लॉग के अच्छे १५ लेखक इस ब्लॉग को छोड़ चुके है बजह बस इतनी थी की बह भी यहाँ मेरी तरह अश्लीलता नहीं चाहते थे !खैर जो हुआ सो ठीक हुआ ! मैं सबको बताना चाहता हूँ की व्योम जी शायद भोपाल के ऍम पी नगर मे रहते है और उनका मोबाइल नंबर है ०९६१७३३९३११ .... उनका मोबाइल नंबर यहाँ प्रकाशित करने की बजह है की कुछ लोग व्योम और संजय को एक ही व्यक्ति समझते थे जो गलत थे !व्योम जी को भगवान् सद्बुद्धि दे हम सब यही दुआ करते है !मैं चाहता हूँ की आप सभी मिलकर एक अच्छे समाज की नींव रखें जिसमे मुझे भी सहयोग करने का अवसर मिले हमारा लक्ष्य अश्लीलता या गाली गलोच नहीं है ! संजय सेन सागर

सेक्सी कपड़े क्यों पहनती हैं महिलाएं..

एक सर्वे के मुताबिक अधिकतर महिलाओं के सेक्सी, तंग या पारदर्शक कपड़े पहनने के पीछे उनके दिल में एक तमन्ना रहती है, वह है अपने करीबियों को अपनी तरफ ज्यादा से ज्यादा खींचना। जी हां सेक्सी कपड़े पहनने के पीछे महिलाओं का मुख्य उद्देश्य ज्यादातर ऑफिस में बॉस के दिल में अपने लिए ज्यादा जगह बनाना होता है। 27 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि प्रमोशन या अधिक बोनस मिलने की इच्छा और बॉस को खुश करने के लिए कम और ज्यादा आकर्षण वाले कपड़े पहनना पड़ता है। इनमें 20 में से 1 महिला तो सेक्सी कपड़े पहनकर नियमति ऑफिस आती हैं और सबकी आंखों में दिनभर आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। सर्वे में भाग लेने वाली लगभग 3 हजार में से 78 फीसदी महिलाओं का मानना है कि सेक्सी वस्त्रों का असर प्रतिदिन के काम-काज पर गहरी छाप छोड़ता है। जबकि 54 फीसदी महिलाओं का मानना है कि इस प्रकार के कपड़ो के पहनने से ऑफिस में काम अच्छे तरीके से संम्पन्न हो जाता है। इस सर्वे को करने वाली वेबसाइट की फैशन फोरम की प्रवक्ता ने बताया कि आपके ज्यादा आकर्षित और पारदर्शी कपड़े पर आपकी सफलता का केन्द्रबिंदु निश्चित हो जाता है। जबकि 61 फीसदी महिलाओं

जय हो !

आज ऐ आर रहमान को अपने देश का नाम इस तरह से रौशन करते देख उनके बारे में कुछ लिखने का मन हुआ| मैंने कुछ समय पहले इस्लामिक वेबदुनिया नामक ब्लॉग पर उनके बारे में एक लेख पढ़ा था सो सोचा क्यूँ न उसे ही प्रकाशित कर दिया जाए | पेश है वो आलेख: हम ईश्वर की शरण में आना चाहते थे  इस्लाम कबूल करने का फैसला अचानक नहीं लिया गया बल्कि इसमें हमें दस साल लगे। यह फैसला मेरा और मेरी मां दोनों का सामूहिक फैसला था। हम दोनों सर्वशक्तिमान ईश्वर की शरण में आना चाहते थे।  संगीतकार ए आर रहमान ने सन् २००६ में अपनी मां के साथ हज अदा किया था। हज पर गए रहमान से अरब न्यूज के सैयद फैसल अली ने बातचीत की। यहां पेश है उस वक्त सैयद फैसल अली की रहमान से हुई गुफ्तगू।  भारत के मशहूर संगीतकार ए आर रहमान किसी परिचय के मोहताज नहीं है। तड़क-भड़क और शोहरत की चकाचौंध से दूर रहने वाले ए आर रहमान की जिंदगी ने एक नई करवट ली जब वे इस्लाम की आगोश में आए। रहमान कहते हैं-इस्लाम कबूल करने पर जिंदगी के प्रति मेरा नजरिया बदल गया। भारतीय फिल्मी-दुनिया में लोग कामयाबी के लिए मुस्लिम होते हुए हिन्दू नाम रख लेते हैं,लेकिन मेरे मामले में इसका उ

कैसे मनाई महाशिवरात्रि

विनय बिहारी सिंह कल महाशिवरात्रि योगदा मठ, कोलकाता में मनाने का मौका मिला। वहां ध्यान, भजन और पूजन के बाद प्रसाद वितरण हुआ। जैसे जैसे रात गहराती गई स्वामी अमरानंद जी का भजन और भावपूर्ण होता गया। ऊं शिव ऊं का गायन हारमोनियम और ढोलक की संगत में इतना मधुर हो गया कि लोग झूमने लगे। ये तीन शब्द कितने प्रभावशाली हैं, यह कल रात अनुभव हुआ। इन शब्दों का स्पंदन समूचे माहौल में फैल गया- ऊं शिव ऊं, ऊं शिव ऊं। इसके बादहर हर शंकर शंभु सदाशिवहर हर महादेव बम बम भोला।।इसके बादचंद्रमौलि चंद्रशेखर शंभु शंकर त्रिपुरारी.... ऐसे ही अनेक भजन। रात गहरा रही थी और लग रहा था ढोलक कभी मृदंग हो गया तो कभी डमरू। ढोलक के कलाकार एक शिव भक्त ही थे। अद्भुत माहौल बन गया था। मानो हम सब कैलाश पर्वत पर बैठे हों और शिव जी का दिव्य नृत्य देख रहे हों।बम बम बबमबम... की ध्वनि के साथ हर हर महादेव की सम्मिलित ध्वनि से रोम रोम तृप्त हो रहा था। शिव का नाम लेने से ऐसा सुख भी मिल सकता है, कई लोगों ने पहली बार जाना। शिव का नाम उच्चारित करने से सचमुच एक खास किस्म का स्पंदन माहौल में पैदा होता है। अगर सबके मन में वह भाव भक्ति हो तो क्या

१८ वां ताज महोत्सव २००९ -- परेशान महोत्सव

१८ वां ताज महोत्सव २००९ हर साल की तरह इस साल भी " ताज महोत्सव " अपने तय समय के मुताबिक १८ - २७ फरवरी तक के लिए लगा है , ताज महोत्सव के हालत साल दर साल बिगड़ते जा रहे हैं , बहुत बुरा हाल कर रखा है , जनता परेशान है , विदेशी नागरिक परेशान है , होटल व्यवसायी परेशान है ,...... सबसे पहले जनता की बात करते है , ताज महोत्सव जिस तरह से लगाया जाता है उसके मूल रूप मे अब बदलाव कर दिया गया है , वो बिल्कुल भूल भुलैया बन चुका है सब रास्ते घुमा फिरा कर दे दिए गए हैं , कहीं जाने के लिए सीधा रास्ता नहीं है , अगर आपको झूलो तक जाना है तो आपको एक नई बनी बिल्डिंग मे से घुमते हुए जाना होगा जहाँ पर इतना पतला रास्ता है की आप बगैर किसी के जिस्म को छुए वहां से नही निकल सकते है क्यूंकि इन दिनों वहां पर बहुत भीड़ होती है , चलने के लिए जगह नही है वहां मैं कल गया था वहां पर बुरा हाल हो गया जा कर ... आगे पढ़े