प्रभात शुंगलू एडिटर स्पेशल असाइनमेंट पिछले पांच साल लाल कृष्ण आडवाणी कहते रहे कि मनमोहन सिंह वीक प्राइम मिनिस्टर हैं। यूपीए की सत्ता का रिमोट कंट्रोल पांच साल 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के पास था। लेकिन आडवाणी जी वरुण के मामले पर चुप बैठे रहे। वरुण के जहरीले भाषण को एक बार भी कंडेम नहीं किया। एक बार भी पार्टी को नहीं कहा कि वरुण के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। शायद वरुण के भड़काऊ बयानों में वो अपने पुराने दिनों की मिरर इमेज देख रहे थे। इसलिये हिम्मत नहीं जुटा पाए कि वरुण से कहें अपनी गलती की माफी मांगे वर्ना टिकट वापस ले लिया जायेगा। ये कहते तो वीक माने जाते। आडवाणी ने अपने युवा साथी शिवराज से भी कुछ नहीं सीखा। जिस दिन वरुण की सीडी का खुलासा हुया उस दिन शिवराज ने डैमेज कंट्रोल के तहत मुस्लिम संगठनों से बातचीत की। उन्हें भरोसा दिलाया वरुण के जहरीले बयान से वो कतई इत्तेफाक नहीं रखते। शिवराज ने वीकनेस दरकिनार की और हिम्मत दिखाई। आडवाणी जी सर्वजन का प्रधानमंत्री बनने का दावा नहीं कर पाए। ये रही उनकी वीकनेस। जब गुजरात दंगे हुए तब भी आडवाणी जी की वीकनेस नजर आई। मोदी के खिलाफ चूं नहीं कर पाए। अ