आतंकवाद पर वार करती विनोद बिस्सा जी की कविता ''शर्म करो'' विनोद बिस्सा अब हिन्दुस्तान का दर्द के लिए नया नाम नहीं है इनकी रचनायें सत्य से जुडी हुई होती है तो पढिये बहस का बिगुल बजाती दूसरी कविता ''शर्म करो''!!! .....शर्म करो...... खिलाड़ियों पर आतंकी हमला और सियासती टिप्पणिया अब तो शर्म भी शर्मिंदा है पर अफसोस लोकतंत्र के पहरेदारों के लिये महज ये सियासी किस्सा है ... नहीं फिक्र किसी को हैवानियत के परिणामों की महज औपचारिकता बची हैं चिंता, शोक श्रद्धांजलियों की ...... ..............विनोद बिस्सा आगे पढ़ें के आगे यहाँ