बंटवारा बहुत बुरा होता है और ये वही जानते हैं जिन्होंने इसे झेला हो .एक घर का बंटवारा आदमी नहीं झेल पता फिर देश का बंटवारा झेलना तो सहनशक्ति के बाहर की बात है.हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों एक ही मिटटी की उपज हैं और ऐसे में जब इनके आपसी मसले सुलझाने के लिए बाहरी मदद ली जाती है तो दोनों तरफ की जनता रो पड़ती है साथ ही जब भाई भाई का दुश्मन होकर खून खराबे पर उतर आता है तो जनता खून के आंसू बहाती है .भारत ने हमेशा पाकिस्तान के साथ नरमी का बर्ताव किया है .युद्ध के जवाब में युद्ध किये हैं कभी खुद कोई युद्ध नहीं किया और आज भी भारत इसी नीति पर कायम है ऐसे में पाकिस्तान को भी आपसी मसले निबटाने के लिए खून खराबे की नीति को छोड़ कर आपसी सामंजस्य की नीति को अपनाना चाहिए. सभी कहते हैं कि इस दुनिया में सब अकेले आयें हैं अकेले ही चले जायेंगे .ना कोई कुछ लेकर आया है ना कोई कुछ लेकर जायगा फिर दोनों देशों के राजनेता इन उक्तियों पर विश्वास क्यों नहीं करते .आखिर जब सब यहीं रह जाना है तो फिर किसी जगह के लिए लड़ने का क्या मतलब है.जो जगह जहाँ से जुडी है उसे वहीँ जुडी रहने दें और शांतिपूर्वक विकास के पथ पर अग्रस