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Showing posts from October 25, 2010

मजदुर

बड़े बड़े महलों मै लोगो का बसेरा है !                   गरीब की मेहनत ने इसे  पिरोया है ! एक २ ईंट की कीमत  खून पसीना है !                  ये गरीब तो हर हाल मै  एक नगीना है ! उसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !               उसका  तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है ! पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना  है !                 हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना  है ! अपनी तमनाओ को दफ़न ही तो ये करते  हैं !                     फिर भी हर हाल मै मुस्कुराते रहते हैं !    काश हम कुच्छ पल को इनको खुश कर पाते !                  इनकी मेहनत मै तो जेसे चार चाँद लग जाते ! ये तो बस पल  भर की ही तो ख़ुशी चाहते हैं !                    और सारी जिंदगी की हमे ख़ुशी दे जाते हैं !  You might also like: जीवन एक कला हिंदी हमारी मातृभाषा क्रांति ही जीवन LinkWithin