Skip to main content

Posts

Showing posts from March 29, 2011

कलेक्टर ने दिया प्रमाण पत्र, की जाओ मांगो भीख

रायपुर. राजधानी में एक अजीबो-गरीब मामले में मासूम के हाथ में सरगुजा कलेक्टर के नाम का भीख मांगने वाला प्रमाण-पत्र मिले से खलबली मच गई। 9 साल का यह बच्चा रेलवे स्टेशन में भीख मांगता मिला। एक सामाजिक संगठन की उस पर नजर पड़ी तो वे उसे अपने पास ले आए। सरगुजा कलेक्टर जीएस धनंजय ने ऐसे किसी पत्र को जारी करने से इंकार किया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि कहीं कोई गिरोह बच्चों से भीख मंगवाने का काम तो नहीं कर रहा? 9 साल के विजय के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं। विजय को अपनी जवान बहन का ब्याह कराना है। सरगुजा के कलेक्टर और पुलिस के नाम से विजय को 1 नवंबर 2010 को प्रमाण-पत्र जारी किया गया। वह ज्यादा से ज्यादा धन जमा करने राजधानी आ पहुंचा। इसके पहले कि वह अपना प्रमाण-पत्र दिखाकर लोगों के आगे हाथ फैलाता, गंभीर रूप से बीमार हो गया। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बेसुध पड़े विजय पर कुछ समाज-सेवियों की नजर पड़ी। उन्होंने बढ़ते कदम संस्था को बुलाकर बच्चे को उसके हवाले किया। दो-तीन दिन इलाज के बाद विजय इशारों से बोलने-बताने की स्थिति में आया। उसने जेब से जब प्रमाण-पत्र निकालकर दिखाया तो सब सकते में

अहम सूचना

हिन्दुस्तान का दर्द का निर्माण वैचारिक आदान प्रदान के उद्देश्य के लिए किया गया है तो  जायज सी बात है की हम चाहते है की इस दिशा में कार्य भी हो,अभी कुछ महीनो से देखने में आ रहा है की कुछ लेखक किस्म के लोगों ने इसकी सदस्यता तो ले ली है लेकिन विचारों के नाम पर वे किसी भी वेबसाइट से उठाकर किसी भी प्रकार की बेतुकी ख़बरों को पोस्ट बनाकर ड़ाल देते है नतीजा ब्लॉग पर आने वाली सामग्री के प्रति लोगों में बढता अविश्वास. हम चाहते है की अगर आपके पास विचारों के नाम पर कुछ नहीं है तो कृपा कर इस ब्लॉग की सदयस्ता से बाज आयें ! मैं इस पोस्ट में उन लेखकों के नाम लेना नहीं चाहता लेकिन चाहता हूँ की बह स्वयं ही खुद में सुधार करने की कोशिश करें, साथ ही साथ इस बात से भी परहेज करें की इस ब्लॉग का उपयोग किसी व्यक्ति विशेष की प्रसिद्धि या अन्य ब्लोगों की प्रसारित को बढाने के लिए ना किया जाएँ ! बहुत जल्द हिन्दुस्तान का दर्द के रंग रोगन में कुछ सकारात्मक बदलाब किये जाने है जिसके बाद ब्लॉग में कुछ और सुबिधाओं को देखा जा सकेगा,साथ ही साथ इस बात पर भी विचार किया जा रहा है की कुछ लेखकों की सदयस्ता को समाप्त कर दिया ज

khel khelen pyar se

आज सारे देश में एक ही बातचीत का विषय रह गया है और सभी जानते हैं वह है "भारत पाकिस्तान का मोहाली सेमी फाईनल "और यह मैच आज फाईनल से भी ज्यादा महत्व रखता है  क्योंकि चंद ऐसे लोग जो इसे आपसी वैर भाव का मुद्दा बना देते हैं वे इस पर हावी हैं.ये हमारे लिए गर्व की बात है और हम यही कहेंगे की हम गौरवशाली हैं जो भारत पाकिस्तान आज इस खेल में इतना ऊँचा मुकाम रखती हैं.हम में से कोई भी जीते फाईनल में दोनों भाइयों में से एक अवश्य पहुंचेगा और अगर ईश्वर की मर्ज़ी हुई तो विश्व कप भी इसी घर में आएगा.आज भले ही इस घर में दीवार खड़ी है किन्तु दिल अभी भी हमारे एक हैं और हम आपसी एकता को बाधा कर ही दम लेंगे.दोनों देशो के खिलाडी खेलेंगे अपने वतन के लिए भला इसमें आपसी वैर भाव के लिए कहाँ स्थान रह जाता है ?कोई नहीं चाहता की कोई भी अपने मुल्क से गद्दारी करे और इसलिए जब इस खेल में दोनों देशो के खिलाडी भिड़ेंगे तो पूरी ईमानदारी से खेलेंगे और यही प्रशंसा होगी खिलाडियों की और जिस किसी के खिलाडी भी अपने देश के लिए खेलते हैं वे जीतें या हारें बधाई के हकदार होते हैं क्योंकि सच्चा योद्धा कभी नहीं हारता और न ही उसे

संवेदनशील और कामयाब इंसान बनाना ही हमारा मकसद : ख्याली

डॉ. सोनी के साथ ख्याली डॉ. सत्यनारायण सोनी से ख्याली की बातचीत संवेदनशील और कामयाब इंसान बनाना ही हमारा मकसद : ख्याली ओशो ने कहा है कि जो हंसते हैं तो मानो ईश्वर की प्रार्थना करते हैं, मगर यहां यह भी कहा जा सकता है कि जो हंसाते हैं उनके लिए ईश्वर स्वयं प्रार्थना करता है। हंसाने वाली ऐसी ही जानी-मानी शख्सियत ख्याली सहारण से आज हमें रू-ब-रू होने का मौका मिल रहा है। वे इसी एक अप्रेल से अपने गांव 18 एस पीडी में सैनिक स्कूल खोल रहे हैं और जिसके चेयरमैन भी वे खुद हैं। अप्रेल फूल के दिन शुरुआत को आप मजाक में न लें यह हकीकत है। ख्याली जी, लोगों को हंसाते-हंसाते यह क्या मन में आया और कैसे आया ? कहा जाता है कि अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल को, मुसाफिर मिलते गए और कारवां बढ़ता गया। मेरे मन में था कि यार, मैं लाफ्टर चैंपियन बन गया। टीवी आर्टिस्ट बन गया। कर्जे उतर गए। मेरे मां-बाप का घर बन गया। मैंने अपना घर ले लिया बोम्बे में, लेकिन ऊपर वाले की कृपा इतनी थी कि पैसे आने बंद ही नहीं हो रहे थे। ज्यादा चीजें खरीदने या सुख भोगने की ललक नहीं है। मीडियम परिवार में
ऐ धरती माँ .................. ऐ धरती माँ  में भी तेरा लाल हूँ  माँ की कोख से  तो जन्मा हूँ  बस  बचपन से  तेरे आँचल से लिपट कर  तुझ में मिलकर खेला हूँ  तेरी हिफाजत के लियें  बंदूक मेने उठाई हे  कई बार मेने  तेरी हिफाजत करते  चोट भी खाई हे  मेरे बुजुर्गों ने  तेरी आन बान शान के लियें  अपनी जान गंवाई हे  ऐ धरती माँ  तू ही बता  क्या यह सच हे  कुछ लोग हें  जो खुद को  तेरा अपना खास बेटा कहते हें  यह वोह लोग हें  जो तेरी सुख शांति एकता अखंडता का  सोदा करते हें  यह कहते हें  के तेरी वोह दोगले इंसान ही  असली सन्तान हे  और हमें कहते हें  के तुम माँ के बेटे नहीं  तुम तो सोतेली सन्तान हो  ऐ धरती माँ  तू ही बता  एक धरती एक देश एक योजना एक कानून  फिर हमारे साथ दोहरा सुलूक  तो क्या  हम मानलें  के हम  तेरी सोतेली सन्तान हें  देख माँ  में तुझे बता दूँ  जब हम बीमार होते हें  जब हमारे पास पानी नहीं होता हे  तब हम  तेरी इस मिटटी को  अपने चेहरे और हाथ पर  तेहम्मुम यानी वुजू कर लेते हें  इसी मिटटी को रगड़ कर  खुद को पाक कर लेते हें  और तेरी ही आँचल पर  बेठ कर  अपनी नमाज़ पढ़ लेते हें  ऐ धरती माँ  मरते