सलीम अख्तर सिद्दीक़ी 15 अगस्त। आजादी का दिन। आज के ही दिन ब्रिटिशों की गुलामी से देश आजाद हुआ था। आज के दिन सरकारी और गैर सरकारी लोग जश्न-ए-आजादी को मनाते हैं। लम्बे-लम्बे और उबाउ भाषण दिए जाते हैं। कुछ लोगों के लिए यह महज छुटृटी का दिन होता है। इत्तेफाक से 15 अगस्त शनिवार की हो तो बल्ले-बल्ले हो जाती है। लगातार दो छुटिृटयां मिलती है। अबकी बार तो और भी ज्यादा मजा आएगा। तीन लगातार छुटिृटयां मिल रही हैं क्योंकि देश आजादी की तारीख से एक दिन पहले श्रीकृष्ण का भी जन्मदिन है। यानि छुट्टियों का पूरा पैकेज। तीन दिन की मौज-मस्ती। मौज-मस्ती करने वाला वही वर्ग है, जिसका कभी आजादी की लड़ाई से कोई ताल्लुक नही रहा यानि पूंजीपति वर्ग। यह वर्ग मुगल दौर में भी सत्ता के साथ था। अंग्रेजों के दौर-ए-हुकूमत में भी अ्रंग्रेजों के साथ खड़ा था। यही वर्ग देश आजाद होने के बाद सत्ता पक्ष के साथ ही खड़ा नजर आता है। विडम्बना यह है कि यही वर्ग आज अपने आप को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी और देशभक्त कहता है। 15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम के प्रायोजक इसी वर्ग के होते हैं। जिन्होंने देश की आजादी की खातिर जानें कुरबान कीं, उनके वार