Skip to main content

Posts

Showing posts from November 19, 2009

लो क सं घ र्ष !: लोकसंघर्ष पत्रिका का फोटो फीचर -2

लोकसंघर्ष पत्रिका का फोटो फीचर

लो क सं घ र्ष !: लोकसंघर्ष पत्रिका का फोटो फीचर

लोकसंघर्ष पत्रिका का फोटो फीचर

लो क सं घ र्ष !: लोकसंघर्ष पत्रिका का अन्तिम पृष्ट

लोकसंघर्ष पत्रिका का अन्तिम पृष्ट

लो क सं घ र्ष !: लोकसंघर्ष पत्रिका के दिसम्बर-2009 अंक का मुख्य पृष्ट

लोकसंघर्ष पत्रिका के दिसम्बर-2009 अंक का मुख्य पृष्ट

आप अपनी सामग्री जल्द से जल्द हमें इस पते पर मेल करें

नमस्कार. आपका लेखन कार्य देखा,काफी ख़ुशी हुई आप बेहद अच्छा काम कर रहे है,मैंने यह मेल आपके सहयोग के उद्देश्य से किया है,नए बर्ष से हमारा समूह ''heartbeat'' magzine का प्रकाशन करने जा रहा है जो यंग लोगों को ध्यान में रखकर प्रकाशित की जा रही है यह भोपाल से प्रकाशित होगी जो सम्पूर्ण हिन्दुस्तान का सफ़र करेगी.. मैं चाहता हूँ की इस पत्रिका के लिए आप लव स्टोरी,लव पोएम,या लव से सम्बंधित कुछ भी सामग्री हमें प्रेषित कर सहयोग प्रदान करें,बस इतनी गुजारिश है की आपकी सामग्री हिंदी भाषा में आपकी तस्वीर,जीवन परिचय के साथ मौलिक अवस्था में हो... आप अपनी सामग्री जल्द से जल्द हमें इस पते पर मेल करें heartbeat.magzine@gmail.com संजय सेन सागर 09907048438 8 आगे पढ़ें के आगे यहाँ

नव गीत: मकान मत कहो... --संजीव 'सलिल'

नव गीत संजीव 'सलिल' घर को 'सलिल' मकान मत कहो... * कंकर में शंकर बसता है देख सको तो देखो. कण-कण में ब्रम्हांड समाया सोच-समझ कर लेखो. जो अजान है उसको तुम बेजान मत कहो. घर को 'सलिल' मकान मत कहो... * * भवन, भावना से सम्प्राणित होते जानो. हर कमरे- कोने को देख-भाल पहचानो. जो आश्रय देता है देव-स्थान नत रहो. घर को 'सलिल' मकान मत कहो... * घर के प्रति श्रद्धानत हो तब खेलो-डोलो. घर के कानों में स्वर प्रीति-प्यार के घोलो. घर को गर्व कहो लेकिन अभिमान मत कहो. घर को 'सलिल' मकान मत कहो... * स्वार्थों का टकराव देखकर घर रोता है. संतति का भटकाव देख धीरज खोता है. नवता का आगमन, पुरा-प्रस्थान मत कहो. घर को 'सलिल' मकान मत कहो... * घर भी श्वासें लेता आसों को जीता है. तुम हारे तो घर दुःख के आँसू पीता है. जयी देख घर हँसता, मैं अनजान मत कहो. घर को 'सलिल' मकान मत कहो... *