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Showing posts from July 14, 2010

अहसान फरामोश भजन मंडली की गाथा

संजय सेन सागर  ''कितना कमजोर है गुब्बारा                                                                                       चाँद साँसों में फूल जाता है जरा सा आसमां क्या मिला अपनी औकात भूल जाता है .'' यह शायरी अभी ''महंगाई डायन खात जात है''गाने वाली भजन मण्डली पर सटीक बैठ रही है.वैश्विकरण एवं प्रतियोगी काल में जहा कलाकार अवसरों के लिए दर दर भटक रहे है और एक मौके के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार बैठे है,वही इस भजन मण्डली ने आमिर खान के मान सम्मान को दौलत के तराजू में तौलकर स्वयं की एवं ग्रामीण स्तर के कलाकारों की एक अनचाही  सी छबी को देश के सामने प्रस्तुत कर दिया है.जिससे कही ना कही इस तरह से प्राप्त होने वाले अवसरों में कमी आ सकती है. खैर भजन मंडली जिस प्रकार की इच्छा रखती थी उसे आमिर खान ने ससम्मान पूरा कर दिया है अब देखना यह है की भजन मण्डली ६ लाख रुप...

वेद प्रताप वैदिक जी का अभियान

दूर की सोचें भारत-पाक

वेदप्रताप वैदिक मुंबई हमले के बाद भारत-पाक संवाद में जो रुकावट आ गई थी, वह अब हटती-सी नजर आ रही है। शर्म-अल-शेख में जो चक्का जाम हुआ था, वह अब चल पड़ा है। दोनों देशों के विदेश सचिव पहले मिले, फिर गृहमंत्री मिले और अब विदेश मंत्री मिलेंगे। भारत व पाकिस्तान के लोगों के दिमाग में विदेश मंत्रियों की यह भेंट उतनी महत्वपूर्ण बन गई है, जितनी कि प्रधानमंत्रियों की होती है। हम यह न भूलें कि यह भेंट कश्मीर के साये में हो रही है। पिछले डेढ़ हफ्ते में कश्मीर में इतना हंगामा हुआ है कि पाकिस्तान में अगर पहले जैसी सरकार होती तो वह इस भेंट को रद्द कर देती। यह तथ्य इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान अब अपने पुराने दुराग्रहों से चिपटा हुआ नहीं है। इससे आशा बंधती है कि भारतीय विदेश मंत्री को इस्लामाबाद में कश्मीर पर हमेशा की तरह कानफोड़ू राग सुनने को नहीं मिलेगा, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि पाक सरकार कश्मीर मुद्दे को दरी के नीचे सरकाने में सफल हो जाएगी। पाकिस्तान की फौज, गुप्तचर विभाग, कुछ थिंक टैंक और सारे जिहादी अगले दो-तीन दिन में इतना दबाव बनाएंगे कि पाक सरकार यह मुद्दा उठाए बिना नहीं ...

मै कवि नहीं कल्पित अक्षर हूँ॥

मै कवि नहीं कल्पित अक्षर हूँ॥ जो रच रच शब्द खिलाता हूँ॥ बड़े बड़े विद्धवानो से ॥ समय समय बचवाता हूँ॥ मै वीर नहीं विरला अक्षर हूँ॥ जो स्वर से स्वर मिलाता हूँ॥ बड़े बड़े कलाकारों के संग॥ साथ में ठुमका लगाता हूँ॥ मै फूल नहीं फुलझडिया हूँ॥ जो वाया हाथ मिलाता हूँ॥ भगवन के मन मंदिर में॥ मंगल मय बात बताता हूँ॥

आइये आइये कवि राज़ आइये॥

आइये आइये कवि राज़ आइये॥ सुन्दर सुन्दर अक्षरों से आसमान को सजाइए॥ लेखनी से लेख लिख चाँद को बुलाइए॥ ऐसा शब्दों का सार हो पूर्णिमा विराजे॥ अर्थो का बना हार हो आमवाश्या नाचे॥ नयी नयी बात नवयुग को बतलाइये॥ आइये आइये कवि राज़ आइये॥ सोच में पढ़ जाए दिमाग पढ़ने वाले दिल का॥ भले बड़े बन न पावो बन जाओ तिनका॥ शव्दों के सुनहरे हार को साहित्य को पहनाइए॥ आइये आइये कवि राज़ आइये॥ चर्चा गली में होगी पर्दा खुल जाएगा॥ आयेगा आयेगा अपना भी समय आयेगा॥ फूलो के शब्द हो आरती सजाइये॥ आइये आइये कवि राज़ आइये॥

श्रीखंड यात्रा

  हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के आनी उपमंडल में 18 हज़ार की ऊंचाई पर स्थित है श्रीखंड महादेव ! श्रीखंड की यात्रा की प्रतीक्षा हर वर्ष की तरह इस बार 16 जुलाई से आरम्भ हो रही है ! यह यात्रा 24 जुलाई तक चलेगी ! पिछले 15 वर्षो से इस यात्रा का सचालन श्री खंड सेवा दल द्वारा किया जा रहा है ! यात्रा जुलाई और अगस्त माह में ही होती है क्योंकि शेष दिनों यहाँ बर्फ पड़ी रहती है ! यात्री शिमला से रामपुर होते हुए यात्रा आरम्भ करते है ! शिमला से रामपुर 130 और रामपुर से बागीपुल 35 किलोमीटर है ! बागीपुल से जांव तक सात किलोमीटर तक वाहन का प्रयोग किया जाता है ! जावं से आगे पैदल यात्रा करनी पड़ती है ! यात्रा के तीन पड़ाव सिंहगाड , थाच्डू और भीमडवार की है जांव से आगे की यात्रा पैदल होती है ! जांव से सिंहगाड 3 किलोमीटर है ! सिंहगाड से 8 किलोमीटर और थाचरू तथा भीमडवार 9 किलोमीटर है ! यात्रा के तीनो पड़ाव में श्रीखंड सेवा दल की तरफ से यात्रियों के लिए ...

अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

ये डगर पुरानी मै कल का राही॥ भूल भटक to जाऊगा ॥ बाद में मुझसे पूछ लेना॥ अनुभव तुम्हे बताऊगा॥ दूर है मंजिल कठिन घडी है॥ फिर भी दर तक जाऊगा॥ वापस आऊ तो पूछ लेना॥ अनुभव तुम्हे बताऊगा॥ बहुत पड़ेगे कंकण पत्थर॥ राहो से उसे हटाऊगा॥ वापस आऊ तो पूछ लेना॥ अनुभव तुम्हे बताऊगा॥ पता नहीं उस कठिन जगह से ॥ यहाँ पे फिर आ पाऊगा ॥ वापस आऊ तो पूछ लेना॥ अनुभव तुम्हे बताऊगा॥ जो खड़े है दुश्मन पग पग पर॥ उनको मार गिराऊगा॥ वापस आऊ तो पूछ लेना॥ अनुभव तुम्हे बताऊगा॥

फिर वही पुरानी बात..

फिर वही पुरानी बात॥ लेके करती रहती रार॥ मै बहुत किया बर्दाश्त ॥ क्या है कोई उपचार॥ बीबी कहती बाहर भी॥ तुम चक्कर चलाते हो... तभी तो मुझसे मिलाने॥ ६ महीने बाद आते हो॥ जब दिन की छुट्टी में आता॥ मचा देती उत्पात॥ फिर वही पुरानी बात॥ लेके करती रहती रार॥ मै बहुत किया बर्दाश्त ॥ क्या है कोई उपचार॥ दस दिन में ४ दिना ही ॥ खाना खाया उसका बनाया॥ बातो बातो में लड़ जाती है... दिखा देती है अपनी माया॥ कभी कभी ताव दिखाती॥ कभी दिखाती नाच॥ फिर वही पुरानी बात॥ लेके करती रहती रार॥ मै बहुत किया बर्दाश्त ॥ क्या है कोई उपचार॥ बच्चो को मेरे खिलाफ॥ ऊट पटांग बताती है॥ ५ बजे सुबह खा लेती॥ काम से जान चुराती है॥ कभी कभी तो जी कहता है॥ ले लू इसकी जान॥ फिर वही पुरानी बात॥ लेके करती रहती रार॥ मै बहुत किया बर्दाश्त ॥ क्या है कोई उपचार॥