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Showing posts from March 2, 2010

लो क सं घ र्ष !: लालच बुरी बला हैं................

आओ बच्चों बहराइच की सैर कराएं । मिंहिपुरवा जंगल की एक रोचक कथा सुनाएँ ।। बहुत बड़ा जंगल है बच्चों, रहते जीव भयंकर। हाथी की चिंग्घाड़, सिंह के गर्जन जहाँ निरन्तर।। शेरू उस जंगल का राजा, जो पहले था बच्चों। अब वह शक्तिहीन हो गया, बूढा हेा गया बच्चों।। भूख से व्याकुल जंगल में, वह मारा-मारा फिरता। कोई जीव हाथ न आता, बेचारा क्या करता।। बुद्धिमान तो था ही उसने, एक उपाय निकाला। बैठ गया तालाब किनारे, पहन के कंठी माला।। हाथ में ले मोती की माला, राम-राम लगा जपने। कोई राही इधर से निकलें, लगा प्रतीक्षा करने।। शाम हुई तो उस पथ से, एक ब्राहमण दे पधारे। देखा शेरू ने जब उनको, मीठे बचन उचारे।। आओ महाराज मोती की माला दान मैं दूँगा। पाप किए बहुतेरे थोड़ा पुण्य कर्म कर लूँगा।। मोती की माला देखा तो, मन ही मन ललचाए। ब्राहमण देव खुशी के मारे फूले नहीं समाए।। सोचा मोती माला पाकर मैं धनवान बनूँगा। होगी दूर गरीबी जीवन भर आराम करूँगा।। ब्राहमण देव शेर जाति से जदपि बहुत घबराए। शेरू ने विश्वास दिलाया टूटे दाँत दिखाए।। कहा, करू स्नान, दक्षिणा मोती माला दूँगा। आर्शीवाद आपका पाकर, जीवन