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Showing posts from February 13, 2011
वेलेंटाइन डे-प्यार या कुछ और वेलेंटाइन डे प्यार का दिन,एक ऐसा दिन जब जिधर देखो प्यार की खुशबू फ़ैल जाती है .दुकानों पर कहीं चोकलेट्स कार्ड्स,कई परफ्यूम ,टेडी बियर सज रहे हैं तो सड़कों पर युवाओं की कतारों की कतारें हैं.लगभग सभी जान चुके हैं कि १४ फरवरी का दिन वेलेंटाइन डे है लेकिन यह क्यों मनाया जाता है इससे शायद कुछ ही लोगों का वास्ता पड़ा होगा किन्तु मैं सबसे पहले इन संत वेलेंटाइन के देश का जिक्र करूंगी और वह भी यूं कि ये रोम के पास एक शहर के थे ,वही रोम जो इटली की राजधानी है और उस देश के इस दिवस को यहाँ के उसी युवा वर्ग ने कितनी खुली मानसिकता से अपना लिया जबकि उसी देश की सोनिया गाँधी को यहाँ अब तक भी विदेशी कहा जाता है जबकि उनका भी तो राजीव गाँधी से प्रेम ही था जिस कारण उन्होंने भारत को और भारत की संस्कृति को अपनाया तो उन्हें स्वीकारने में यहाँ संकीर्ण मानसिकता क्यों अपनाई जाती है?         खैर यहाँ बात हो रही है सेंत वेलेंटाइन की तो जहाँ तक मुझे जानकारी है उन्होंने रोमन शासक क्लाडियस के सैनिकों पर महिलाओं के साथ प्यार जताने और विवाह करने पर प्रतिबन्ध को चुनौती दी थी और "पूरे रो

मत रो आरुषि

वेसे ये नई बात नहीं ये तो रोज़ का ही  नज़ारा हैं ! हर किसी अख़बार के  इक  नए  पन्ने मैं ... आरुशी जेसी मासूम का कोई न कोई हत्यारा है ! पर लगता है आरुशी के साथ मिलकर सभी मासूमों ने एक बार फिर से इंसाफ को पुकारा है ! क्या छुपा है इन अपलक निहारती आँखों मैं , ये कीससे गुहार लगाती है ? खुद का इंसाफ ये चाहती है ? या माँ - बाप को बचाना चाहती है ? उसने तो दुनिया देखि भी नहीं , फिर कीससे आस  लगाती है ! जीते जी उसकी किसी ने न सुनी , मरकर अब वो किसको अपना बतलाती है ! गुडिया ये रंग बदलती दुनिया है ! इसमें कोई न अपना है ! तू क्यु इक बार मर कर भी ... एसे मर - मर के जीती है ! यहाँ एहसास के नाम पर कुछ भी नहीं , मतलब की दुनिया बस बसती है ! न कोई अपना न ही पराया है लगता है हाड - मांस की ही बस ये काया है  ! जिसमें  प्यार शब्द का एहसास नहीं ! किसी के सवाल  का कोई  जवाब नहीं ! तू अब भी परेशान सी रहती होगी  ? लगता है  इंसाफ के लिए रूह तडपती होगी ! अरे तेरी दुनिया इससे सुन्दर होगी ? मत रो तू एसे अपनों को ! तेरी गुहार हर मुमकिन पूरी होगी ! तेरे साथ सारा ये जमाना है ! कोई सुने न
मनमोहन जी के क्रष्णा ने देश का सर शर्म से नीचा किया Saturday, February 12, 2011 भारत के प्रधानमन्त्री के मंत्रिमंडल में एक मंत्री भी ऐसा नहीं हे जिस पर देश या देश का कोई भी व्यक्ति जाती समाज गर्व कर सके हाँ हर मंत्री ने किसी ना किसी रूप में देश का सर शर्म से नीचा जरुर किया हे देश को अपमानित और बे इज्जत किया हे और देश को भ्रस्ताचार,बेकारी,गरीबी,महंगाई की आग में झोंक दिया हे और नतीजे सामने हें , इन सब के बावजूद भी मनमोहन सोनिया के रत्न हे तो मनमोहन के यह सभी मंत्री रत्न बने हुए हें । दोस्तों अब तो देश का सर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा जी ने शर्म से नीचा कर दिया जिस कृष्ण जी को संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरी तय्यारी के साथ करोड़ों रूपये खर्च करके इसलियें भेजा गया था के वोह भारत की संयुक्त राष्ट्र की दावेदारी को दमदारी से रखेंगे लेकिन रिमोट से चलने वाले मंत्री हमेशा दूसरों का लिखा भाषण पढने वाली पार्टी की संस्क्रती को जिंदा रखने वाले यह मंत्री जी ने भी कोंग्रेस में दूसरों के भाषण को पढने की परम्परा को जिंदा रखा और संयुक्त राष्ट्र संघ में एक स्क्रिप्ट लेकर भाषण देने खड़े हो

अभिज्ञात: सोने की आरामकुर्सी वाला आदमी

अभिज्ञात: सोने की आरामकुर्सी वाला आदमी : "कहानी साभारःवर्तमान साहित्य, फरवरी 2011 रोज़ की तरह सुरेश आठ घंटे की क्लर्की की ड्यूटी बजाने के बाद घर लौटा था। वह एक निज़ी जूट मिल में कार्..."