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Showing posts from December 23, 2010

घोटालों से हम क्या सीखें?

''आज प्रीतिश नंदी जी का यह लेख भास्कर के माध्यम से पढने  को मिला इस लेख ने मुझे काफी प्रभावित किया,वैसे तो अधिकतर पाठकों की नजर से यह बचा नहीं होगा,लेकिन उस पाठकों के लिए हम इसे यहाँ लेकर आ रहे है जो इसे नहीं पढ़ पायें,आप इस विषय पर चिंतन करें, मनन करें  उसके बाद  अपनी राय को कमेंट्स के माध्यम से हम तक पहुंचाएं ''   संभव है कि आप बहुत मेधावी व्यक्ति हों, लेकिन भारत में उद्यमशीलता की डगर इतनी आसान नहीं। जब लाइसेंसों व परमिटों का बंटवारा होगा, तो सत्ता के साझेदार और उनके संगी-साथी सब कुछ हड़प लेंगे। मीडिया भी उनका गुणगान करेगा कि भ्रष्टाचार की दलदल के बावजूद उन्होंने अपनी नैया किनारे लगा दी। कामयाबी का एक सूत्र यह भी है कि किसी नामी-गिरामी के पिछलग्गू बन जाओ। हाल के दिनों में कई लोगों ने मुझसे यह सवाल पूछा है कि टेलीकॉम घोटाले से हमें क्या सबक मिलता है? ये रहा मेरा फौरी जवाब। मुमकिन है यह एक बौड़म-सा सबक हो। शायद.. आज राजनीति में भले और नेक लोग बहुत ज्यादा नहीं रह गए हैं। बहुतेरे राजनेता लूटने-खसोटने वाले हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो तमाशबीन बने खड़े रहते हैं, लेकिन भ्रष्
राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस जनता के साथ ठगी ही ठगी दोस्तों कल २४ दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस हे राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस याने जनता द्वारा किसी भी खरीद मामले में कीमत से लेकर तोल और गुणवत्ता तक की गारंटी का कानून , बस कल इसी कानून का जनता के सामने सरकार बखान करेगी कल इस दिवस को मनाने के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारे देश के अरबों रूपये विज्ञापन और समारोह में खर्च कर देंगे लेकिन फिर भी जनता को अंगूठे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा । देश में जनता को किसी भी वस्तु की खरीद के वक्त उपभोक्ता माना गया हे और उपभोक्ता के अधिकार में उचित कीमत वसूलना , वस्तु समय पर उपलब्ध कराना , सही और गुणवत्ता वाली वस्तु बेचना और तोल में कोई सामान कम नहीं देना शामिल हे जबकि रूपये लेकर किसी भी प्रकार की सेवा में कोई दोष नहीं रहे इस मामले में भी उपभोक्ता को अधिकार दिए गये हें , हमारे देश में उपभोक्ता कानून बनाया गया हे और इस कानून के तहत राष्ट्रीय स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर राज्य स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर जिला स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी यह आवश्यक प्रावधान इस कानून में रखे

अपने अपने क्रास

                                                        परम हंस योगानंद ने क्रिसमस के अवसर पर अपने अमेरिका श्रोतओं से कहा था की ' इस ब्रह्माण्ड मै क्राइस्ट- चेतना  विशेष रूप से सक्रीय हो जाती है ! सच्चे  साधक मै विश्वयापी क्राइस्ट की भावना जन्म लेती है ! ध्यान के माध्यम से अज्ञान के बादल छितरा  जाते हैं और बंद आँखों के पीछे के अंधकार मै देवी आलोक के दर्शन होने लगते हैं ! जन - जन मै ये प्रकाश उदित हो यही इस पर्व का उद्देश्य  है !' प्रभु का अंश लेकर जब - जब कोई महान आत्मा इस धरती पर उतरती है , उसका स्वागत  करने के लिए हमे अपने दिल के दरवाजे खोल कर रखने होंगे ! तभी उस चेतना को हम आत्मसात कर पाएंगे ! ईसा मसीह ने कहा है ................' Behold I stand at the door and knock , If any man can hear my voice and open the door , I will come into him sup with him he with me '  अर्थात देखो मै तुम्हारे द्वार  पर खड़ा दस्तक दे रहा हु ! यदि कोई मेरी आवाज़ सुन कर द्वार खोलेगा तो मै अन्दर आकर उसके साथ आ कर भोजन करूँगा और वो मेरे साथ !                 राम और कृष्ण के आह्वान को भी शबरी
बहाने केसे केसे .... ऐ मेरे प्यार के दुश्मन तुझे बुलाने के लियें कभी में बीमार बनता हूँ कभी में बे म़ोत मरता हूँ तू खुद बता तुझे बुलाने के लियें में करता हूँ बहाने क्या क्या ? अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यादों का मजार ..... आज मेला लगा हे मजार पर यादों के मेरे हर शख्स , हर माशूक यहाँ मोजूद हे बस नहीं हे तो वोह जिसे हर दम नजरें मेरी तलाशती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
गुर्जर फिर हर कर भी जीते राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण के नाम पर हाईकोर्ट ने संविधान और देश का कानून बता दिया हे , सरकार भी अपने किये पर पछता रही हे लेकिन गुर्जर हें के हर कर भी जितने के तय्यारी में जुट गये हें , गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बेसला को हाईकोर्ट से आरक्षण का इंकार कर देने की कोई चिंता नहीं हे वोह अपनी ताकत के दम पर सरकार को झुकाने की कोशिशों में जुट गये हें दो दिन में ही गुर्जरों ने सरकार की सालों की कोशिशें बेकार साबित कर दी हें गुर्जर भाई सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हें और पहले उन्होंने माहोल में अपनी ताकत बता कर हाईकोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास किया फिर हाईकोर्ट से हरने के बाद सरकार से जितने की कोशिशों में जुट गये हें , राजस्थान में कोटा ,भीलवाडा.डोसा,भरतपुर माधोपुर जहां खी भी हो गुर्जरों का प्रभाव हे सरकार चाहे कानून व्यवस्था की कितने ही बढ़ी बढ़ी बातें कहे लेकिन यह सच हे के सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई हे इस बार सरकार की जरा सी भी ना समझी गुर्जरों की तपती आग को शोला बना सकती हे और फिर दो साल के शांति प्रयास धरे रह जायेंगे कर्नल किर
नियुक्तियों में धांधली का आरोप देश में सरकारी और अर्द्ध सरकारी उपक्रमों सहित बेंकों वगेरा में नियुक्तियों में भयंकर धांधलियां और मनमानी हे इस मामले में केन्द्रीय सतर्कता समिति ने अपनी रिपोर्ट में गम्भीर टिप्पणियाँ की हे समिति ने कहा हे के इन संस्थाओं में नियुक्तियों के नाम पर भी कायदे कानून ताक में रख कर मनमानी की जाती हे और भयंकर भ्रस्ताचार होता हे भ्रस्ताचार के गंभीर हालातों पर भी समिति ने टिप्पणी की हे समिति ने कहा हे के यह उपक्रम अपनी प्रकाशित वार्षिक रिपोर्टों में भी झूंठे और मन गढंत आंकड़े प्रकाशित कर लोगों को और सरकार को भ्रमित करते हें , केन्द्रीय सतर्कता समिति की कहने को तो यह सामान्य रिपोर्ट हे लेकिन देश के ५ फीसदी केन्द्रीय सरकार के उपक्रम और अर्धसरकारी उपक्रमों के इस हाल पर केवल आंसू बहाने से कम नहीं चलेगा ना ही चिंता जताकर खामोश बेठने से काम चलेगा देश के पैसों और गरीबों के हक को किस तरह से तबाह और बर्बाद किया जा रहा हे इसका पता लगा कर दोषी लोगों को दंडित करना और जिन लगों ने गलत चेनल का रास्ता अपना कर लाभ उठाया हे उसे सुधारना अब सरकार की ज़िम्मेदारी बन गया
सूखे देश में राष्ट्रपति जी का हरित क्रांति का सपना मानसून , बेमोसम बरसात ,प्राक्रतिक आपदा,मोसम की मार ,रेगिस्तान सहित अन्य समस्याओं से जूझ रहे इस देश में राष्ट्रपति महामहिम पतिभा पाटिल हरित क्रांती लाना चाहती हे , कल उदयपुर में उन्होंने देश की स्थिति पर चिता व्यक्त करते हुए क्रषि अनुसन्धान केन्द्रों और सरकारी मदद के माध्यम से देश में हरित क्रान्ति का आह्वान किया , १९ दिसम्बर को सादगी से अपना जन्म दिन मनाने के बाद उदयपुर में उनका यह पहला कार्यक्रम था । राष्ट्रपति महोदया राजस्थान की पूर्व गवर्नर भी रह चुकी हें और वोह राजस्थान की बहु भी हें उन्होंने चोंकाने वाले आंकड़े बताते हुए कहा के वर्ष २०५० में नदेश की जनसंख्या का विशाल आंकडा होगा और वर्तमान में देश में क्रषि भूमि का आंकड़ा ५१ प्रतिशत से घट कर ११ प्रतिशत रह गया हे उन्होंने चिंता जताई हे के पहले प्रति व्यक्ति क्रषि भूमि का अनुपात ११ हेक्टेयर प्रति व्यक्ति था जो आब घट कर ०.३ हेक्टेयर रह गया हे वास्तव में यह एक गम्भीर चिन्तन का विषय हे हम शहरीकरण के नाम पर इस देश को खत्म कर रहे हें यहाँ क्रषि उपज की स्थिति आज हमारे स