''आज प्रीतिश नंदी जी का यह लेख भास्कर के माध्यम से पढने को मिला इस लेख ने मुझे काफी प्रभावित किया,वैसे तो अधिकतर पाठकों की नजर से यह बचा नहीं होगा,लेकिन उस पाठकों के लिए हम इसे यहाँ लेकर आ रहे है जो इसे नहीं पढ़ पायें,आप इस विषय पर चिंतन करें, मनन करें उसके बाद अपनी राय को कमेंट्स के माध्यम से हम तक पहुंचाएं '' संभव है कि आप बहुत मेधावी व्यक्ति हों, लेकिन भारत में उद्यमशीलता की डगर इतनी आसान नहीं। जब लाइसेंसों व परमिटों का बंटवारा होगा, तो सत्ता के साझेदार और उनके संगी-साथी सब कुछ हड़प लेंगे। मीडिया भी उनका गुणगान करेगा कि भ्रष्टाचार की दलदल के बावजूद उन्होंने अपनी नैया किनारे लगा दी। कामयाबी का एक सूत्र यह भी है कि किसी नामी-गिरामी के पिछलग्गू बन जाओ। हाल के दिनों में कई लोगों ने मुझसे यह सवाल पूछा है कि टेलीकॉम घोटाले से हमें क्या सबक मिलता है? ये रहा मेरा फौरी जवाब। मुमकिन है यह एक बौड़म-सा सबक हो। शायद.. आज राजनीति में भले और नेक लोग बहुत ज्यादा नहीं रह गए हैं। बहुतेरे राजनेता लूटने-खसोटने वाले हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो तमाशबीन बने खड़े रहते हैं, लेकिन भ्रष्