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Showing posts from September 26, 2009

लो क सं घ र्ष !: गुस्सा मजहब का गरीबी का

"...मुसलमान ने हिन्दुओं को लूटा है...पर हिन्दू सैकडों वर्ष से इन लोगो को लूटते, निचोड़ते चले आ रहे है, नही तो एक ही जमीन पर रहनेवालों में अमीरी-गरीबी का इतना फरक क्यों होता है? पंजाब की सब जायजाद हिन्दुओं के ही हाथ क्यों चली जाती। गरीब पहले गुस्से में मुसलमान...गुस्सा मजहब का भी है और गरीबी का भी है ।" यशपाल झूठा सच

बरसात तो हो जायेगी॥

दो दिल जहा मिलेगे॥ बरसात तो हो जायेगी॥ पहली ही मुलाक़ात में॥ कुछ बात तो बन जायेगी॥ सताएगी याद प्रिये की ॥ तडपाये गी तन्हाईया॥ चेहरा दिखाई देगा॥ मन भाएगी परछाईया॥ फ़िर भी मिलेगे छुप कर॥ मंजिल नजर आएगी॥ ................................... दिल से दिल मिलेगा॥ नज़ारे कहेगी बातें॥ धड़कन बढेगी दिल की॥ आती रहेगी यादे॥ चुडियो की खनखनाहट॥ कानो को धुन सुनाये गी॥ ................................... सच्चे है दोनों दिल के पक्के बने पुजारी॥ तू है मेरी मंजिल ॥ मै हूँ तेरा आटारी॥ सोते हुए सपने में॥ तस्वीर नज़र आएगी॥

लो क सं घ र्ष !: विधि के विधान की कारा

तोड़ना नही सम्भव है , विधि के विधान की कारा । अपराजेय शक्ति है कलि की , पाकर अवलंब तुम्हारा ॥ श्रृंखला कठिन नियमो की , विधना भी मुक्त नही है । वरदान कवच से धरणी , अभिशापित है यक्त नही है ॥ हो अजेय शक्ति नतमस्तक , पौरुष बल ग्राह्य नही है । तप संयम मुक्ति विजय श्री , रोदन ही भाग्य नही है ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल " राही