अब कातिलों को भी जाति और धर्म के नाम पर पहचान की जा रही है वास्तव में कातिल कातिल है न उसकी कोई जाति है न उसका कोई धर्म है , लेकिन समाज में नियोजित तरीके से जो देश की एकता और अखंडता को नहीं बनाये रखने में विश्वास करते हैं वह लोग कातिलों को हिन्दू , मुसलमान व सिख , ईसाई में बांटने लगे हैं । क्या महात्मा गाँधी की हत्या , श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या , राजीव गाँधी की हत्या क्या हिन्दुवों ने की है ? मैं कहूँगा नहीं संविधान व न्याय कहेगा नहीं , कातिल कातिल है , दंगाई दंगाई है , लुटेरा लुटेरा है , आतंकी आतंकी है । जब कुछ इनकी पैरवी करने वाले लोग जाति और धर्म के नाम पर पैरवी करने लगते हैं और गलत तथ्यों के आधार पर झूंठे आंकड़े पेश करने लगते हैं तो वह किसी कातिल की पैरवी कर रहे होते हैं उसके गुनाह को छोटा करके धर्म के आधार पर दूसरे का गुनाह बड़ा कर के बताते हैं । जोश में होश खोकर वह संविधान व देश विरोधी हरकतें करने लगते हैं । विष वृक्षो