कितनी प्यारी होती हैं बेटियां हर घर को रोशन बनाती हैं बेटियां पापा की भी दुलारी होती हैं बेटियां ओस की बूंदों सी नम होती हैं बेटियां कली से भी नाजुक होती हैं बेटियां सपर्श मै अपनापन ना हो तो रो देती बेटियां रोशन करता बेटा तो सिर्फ एक ही कुल को दो -दो घरों की लाज निभाती हैं बेटियां सारे जहां से प्यारी होती हैं बेटियां पलकों मै पली , सांसो मै बसी धरोहर होती हैं बेटियां विधि का विधान कहो, या दुनिया की रस्मो को मानो मुठी मै भरे नीर सी होती हैं बेटियां चाहे सांसे थम जाये बाबुल की , हथेली पीली होते ही पराई हो जाती बेटियां !