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Showing posts from January 17, 2009

प्रतियोगिता कलम का सिपाही

हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग आपके लिए लेकर आया है प्रतियोगिता ''कलम का सिपाही-२००९'' जिसके अंतर्गत आपको अपनी एक हिंदी कविता हमे भेजना है!इस प्रतियोगिता के अंतर्गत हम एक विजेता चुनेगे जो कहलायेगा ''कलम का सिपाही-२००९'' और हमारे उस एक विजेता को १००० रुपए एवं प्रमाण पत्र द्वारा सम्मानित किया जायेगा! रचना भेजने के नियम एवं शर्तें :- १ . आपकी रचना अप्रकाशित,अप्रसारित एवं मौलिक होनी चाहिए! २ एक लेखक केवल एक ही कविता भेज सकता है अतः भेजने से पूर्व आप खुद तय करें कि आप अपनी कौन-सी कविता प्रतियोगिता हेतु देना चाहते हैं। ३।आपकी कविता यूनिकोड मे टंकित हो तो अच्छा यदि ऐसा संभव न हो तो आप अपनी रचना को कृति, कुंडली, या श्रीलिपि मे भी भेज सकते है ४। कविता भेजने की अंतिम तिथि ०५ फ़रवरी २००९ है इसके बाद आपकी रचना स्वीकार करना संभव नहीं होगा ! ५। इस प्रतियोगिता मे उम्र,लिंग या जाति का कोई बंधन नहीं है ! ६। प्रतियोगिता के नतीजे समूह की सहमति के बाद घोषित किए जायेंगे इसलिए इस प्रतियोगिता के संबंध में पत्र व्यहार न करे! 7. आप अपनी रचना हमे mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें !

जीवन में ऐसा क्षण

विनय बिहारी सिंह सुबह से लेकर सोने तक हमारे मन में न जाने कितने तरह के विचार आते औऱ जाते हैं। गौर कीजिए तो आश्चर्य होता है। ये विचार हमारे दिमाग को थका देते हैं। इसीलिए रात को हमे सोने की जरूरत पड़ती है। हम दिन भर के कामकाज के बाद शारीरिक रूप से तो थकते ही हैं , मानसिक रूप से भी थक जाते हैं। रात भर गहरी नींद में सो कर फिर से हम तरोताजा हो जाते हैं। क्या जगे रहने के दौरान हमारे जीवन में कोई ऐसा क्षण आता है कि हम प्रेम से सराबोर होते हों। हममें से कई लोगों के जीवन में ऐसा क्षण आता ही नहीं कि हम ईश्वर कें प्रेम से सराबोर हो सकें। संत महात्माओं ने कहा है कि हर रोज दिन में कुछ क्षण एेसे निकालिए कि आपके दिमाग में कोई विचार ही न हो। सिवाय ईश्वर के प्रेम के। मानो आप १ मिनट या २ मिनट ईश्वर के प्रेम से नहा रहे हों। सब कुछ ईश्वर में डूब गया है। आपका अस्तित् भीईश्वर में डूब गया है। एेसा रोज करने से आप पाएंगे कि आपके भीतर