महेश रंगराजन भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन ने जनता के मन में जगह बना ली और सरकार को लोकपाल विधेयक के संबंध में चुस्ती-फुर्ती दिखानी पड़ी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और उसे नियंत्रित करने के श्रेष्ठ तरीकों के बारे में सक्रिय बहस जारी है। अन्ना के अहिंसक आंदोलन ने युवाओं और आमतौर पर गैरराजनीतिक रुझान रखने वाले मध्यवर्ग को भी प्रभावित किया। यह भी उल्लेखनीय है कि नए विधेयक की प्रक्रियाएं अब तेज हो गई हैं। इसके बावजूद कुछ विश्लेषकों द्वारा अन्ना हजारे की तुलना महात्मा गांधी से करना भ्रमपूर्ण हो सकता है। महात्मा गांधी के विपरीत अन्ना हजारे ने मुश्किल के दौर से गुजर रहे हिंदुत्ववादी समूहों को भी एक मंच मुहैया करा दिया। संघ परिवार सत्ता और संरक्षण से अब उतना दूर नहीं है, जितना वह हुआ करता था। कोई भी नहीं जानता कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के नाम पर बड़े पैमाने पर जुटाई गई धनराशि कहां गई। झारखंड और कर्नाटक के मामले में भाजपा ने संसदीय बोर्ड के फैसले को खारिज कर दिया। इससे एक तरफ बीएस येदियुरप्पा को फायदा हुआ, जिनकी सरकार खनन लॉबी से संबंधों के कारण जानी जाती है। वहीं दूसरी