कुछ इस तरह टूटा सिंगूर का सपना कहानी शुरू हुई थी वाम मोर्चा द्वारा लगातार सातवीं बार भारी बहुमत से सत्ता में आने के साथ. १८ मई २००६ को हुए वामपंथी राज्य सरकार के शपथ ग्रहण समारोह ने माकपा के इतिहास में एक और युगान्तकारी अध्याय जोड़ दिया था. २००० में ही परिपक्व वामपंथी नेता ज्योति बसु ने उदारवादी और गतिशील मार्क्सवादी बुद्धदेव भट्टाचार्य को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था. इसलिए २००६ में जब वामपंथी सरकार ने भारी बहुमत हासिल किया तो बुद्धदेव को लगा कि अब वे राज्य का संचालन अपनी नीतियों के अनुसार कर सकते हैं.बुद्धदेव का पुनरउद्योगीकरण में अडिग विश्वास है. टाटा मोटर्स के अध्यक्ष रतन टाटा से उनके दोस्ताने का आधार यही है. रतन टाटा ने बुद्धदेव का निमंत्रण स्वीकार कर न केवल कार कारखाना वहां लगाने का वादा किया था बल्कि एक कैंसर अस्पताल खोलने का भी वादा किया था. नये मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद ही सिंगूर के स्थानीय लोगों ने देखा कि कुछ लोग दूरबीन और दूसरे उपकरणों के साथ कृषि जमीन का सर्वे कर रहे हैं. जैसे ही बात फैली कोई १५०० लोगों ने सर्वेक्षण कर