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Showing posts from January 18, 2010

लो क सं घ र्ष !: अब पछताए क्या होत.......

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आसिफ अली जरदारी ने अमरीका से शिकायत की है कि एक तरफ अमरीका आतंकवाद के विरूद्ध जंग में उसे अपना सहयोगी मानता है तो वही दूसरी तरफ उसके शहरियों पर ड्रोन हमले भी होते रहते हैं जिसके कारण आम जनता में अमरीका व पाकिस्तानी सरकार के विरूद्ध क्रोध व कुण्ठा बढ़ती है परिणाम स्वरूप आतंकियों का जनसमर्थन बढ़ता है। वाह जरदारी साहब मीठा-मीठा हक कड़वा-कड़वा थू। जब अमरीका व उसकी गुप्तचर एजेन्सी सी0आई0ए0 के साथ गलबहियाँ डालकर भारत के विरूद्ध साजिशे पाकिस्तान से कभी पंजाब तो कभी कश्मीर के विरूद्ध की जाती रही तब अमरीकी दोस्ती अच्छी लगती थी जिस समय अमरीकी सातवें नौसेना बेड़े के द्वारा भारत पाक युद्ध 1971 के समय, भारत को धमकी दी जा रही थी तब अमरीका आपका आका बना हुआ था। जब अफगान रूस युद्ध चल रहा था तो पाकिस्तान में तालिबानी शिविर लगाकर अमरीकी सेना के द्वारा उन्हें शस्त्र ट्रेनिंग दी जा रही थी उस समय अमरीका के हक में हाथ उठा उठाकर मस्जिदों में दुआए उस समय के पाक राष्ट्रपति जियाउल हक करवाते थे और जिन्होंने अमरीका के ही कहने पर आपके ससुर पूर्व प्रधानमंत्री जुलफिकार अली भुट्टो को जेल में सड़ाकर

खुद चल के समुन्दर आज॥

खुद चल के समुन्दर आज॥ नदी के पास आया है॥ अपने मन की बात ॥ सलिल सरिता से बताया है॥ कलरव उसके चंचल हो गए॥ कल कल करके बोली॥ शर्मीली कदमो से थम कर॥ प्रेम मगन हो डोली॥ mere aangan me aake॥ saagar muskaayaa है॥ mai poochh sakoo dukh vipdaa kyaa है॥ kyaa koi achambhee बात padi॥ चंचल मन to लग रहे है॥ मोतियों की मानिक जड़ी॥ लगता समय बदल रहा है॥ मन मेरा हर्षाया है॥