Skip to main content

Posts

Showing posts from January 9, 2010

कुण्डलिनी आचार्य संजीव 'सलिल', संपादक दिव्य नर्मदा

आचार्य संजीव 'सलिल', संपादक दिव्य नर्मदा कुण्डलिनी करुणा संवेदन बिना, नहीं काव्य में तंत.. करुणा रस जिस ह्रदय में वह हो जाता संत. वह हो जाता संत, न कोई पीर परायी. आँसू सबके पोंछ, लगे सार्थकता पाई. कंकर में शंकर दिखते, होता मन-मंथन. 'सलिल' व्यर्थ है गीत, बिना करुणा संवेदन. ********************************** http://divyanarmada.blogspot.com

लो क सं घ र्ष !: माननीय उच्च न्यायलय को गुस्सा आया

माननीय उच्च न्यायलय उत्तर प्रदेश ईलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र मिश्रा दो नामो से दायर याचिका को ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर दस - दस लाख का जुर्माना ठोका तथा याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं पर भी 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और जिला अधिकारी सिद्दार्थनगर को आदेशित किया है की एक माह के अन्दर जुर्माना वसूल कर लिया जाए इस फैसले के पीछे तर्क यह लिया गया है कि याचिकाकर्ताओं ने गलत याचिकाएं दाखिल कर न्यायलय के समय को बर्बाद किया है । न्यायलय के आदेश की हम कोई आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन न्यायलय को राज्य द्वारा किये गए अधिकांश वाद , जो फर्जी साबित होते हैं उनपर भी राज्य के खिलाफ इस तरह की कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन राज्य करता रहता है और उसके अधिकांश निर्णय तब लागू हो पाते हैं जब अवमानना की कार्यवाही शुरू होती है । एक आइ . ए . एस अफसर माननीयों