मेरा दर्द ... देखो में हिन्दुस्तान हूँ .......... . Friday, February 18, 2011 देख लो आज में फिर दर्द से छटपटा रहा हूँ मझे मेरे अपने लूट रहे हें बस इसी दर्द से कराह रहा हूँ में रोज़ रोज़ की इन भ्रस्ताचार की शिकायतों से तडपने लगा हूँ में नेत्ताओं के महमूद गजनवी बनकर रोज़ मुझे लुटने से घबरा गया हूँ में जिसे अपना बनाया जिसके हाथ में दोर दी मेने वोह भी देखो खुद मजबूर लाचार बन कर मेरी लूट में शामिल होकर समझोतों में लगा हे इतना होता तो ठीक था बस अब बेशर्मों की तरह से इस कहानी को गढ़ कर खुद को बेहिसाब अपराधों से बचाने में लगा हे मुझे बताओं में अब क्या करूं में इतना बेबस ,इतना लाचार इतिहास गवाह हे कभी नहीं रहा लेकिन आज में चुप खामोश सब सह रहा हूँ क्योंकि मुझ में करोड़ों करोड़ लोग बसते हें और यह सभी लोग मुझे तू हे हिन्दुस्तान तू हे मेरा भारत महान कह कह कर हंसते हें क्या तुम देख सकोगे क्या तुम बाँट सकोगे मेरा यह दर्द क्या तुम कोई मरहम लगाकर कोई अलादीन का चिराग जलाकर दूर कर सकोंगे मेरा यह दर्द अगर हाँ तो उठों ना उठो बदल दो यह सत्ता बदल दो यह रस्मो रिवाज खुदा के लियें पोंछ दो मेरे आंसू बना