Skip to main content

Posts

Showing posts from November 4, 2011

बिखराव के रास्ते पर अन्ना टीम

सलीम अख्तर सिद्दीकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि अगस्त में अन्ना आंदोलन से जो उबाल जनता में आया था, नवंबर आते-आते वह इस तरह बैठ जाएगा, जैसे दूध में आया उबाल बैठ जाता है। अन्ना आंदोलन जितनी तेजी के साथ ऊंचाइयों पर गया था, उतनी तेजी के साथ नीचे आता जा रहा है। अन्ना टीम के बिखराव का दौर शुरू हो गया है। बिखराव का ही नतीजा है कि आंदोलन की धार कुंद पड़ने लगी है। यह इस बात से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश का दौरा कर रही अन्ना टीम के कार्यक्रमों में भीड़ नहीं जुट रही है। जब कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा जोड़कर शुरूआत की जाती है, तो ऐसा ही होता है। कई विचारधाराओं के लोग मिले और जल्दबाजी में एक ऐसी मुहिम छेड़ दी, जिसके लिए जबरदस्त ‘होमवर्क’ की जरूरत थी। भ्रष्टाचार से उकताई जनता को अन्ना हजारे का चेहरा मिला और रामलीला मैदान में चले आमरण अनशन के दौरान मिले व्यापक जनसमर्थन से अन्ना टीम एक तरह से घमंड का शिकार होकर संसद से ऊपर होने का भ्रम पाल बैठी। यही भ्रम उसके बिखराव का कारण बना और उसके अंत की शुरूआत हो गई। टीम के विचित्र बयानों ने बिखराव को तेज किया। टीम में तब वैचारिक मतभेद भी उभरकर आए, जब प्रशांत भूष