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Showing posts from March 14, 2011

हिंदी अब थोड़ी थोड़ी इंग्लिश होने लगी है…

♦ रवीश कुमार रवीश कुमार ने शनिवार को पेंग्विन के सेमिनार हिंदी बदलेगी तो चलेगी में लगभग इसी लब्‍बोलुआब का लेक्‍चर झाड़ा था। आप सब पढिए और आनंद लीजिए : मॉडरेटर हिं दी आज तक बची हुई है क्योंकि वह बदलती रहती है। जितनी उदारता और लापरवाही से हिंदी दूसरी भाषाओं के गैरजरूरी शब्दों को अपनाती है, उतनी शायद इंग्लिश नहीं। आप अंग्रेजी के अखबारों और चैनलों को अपने पाठक के हिंदी होने से कंपीट करते नहीं देखेंगे। कभी-कभार को छोड़ दें तो इंग्लिश के अखबार इंग्लिश ही रहते हैं। वह इंग्लिश के भीतर ही बदलते रहते हैं। हिंदी के साथ ऐसा नहीं लगता। हिंदी बदलने के नाम पर कुछ से कुछ हो जाती है। हिंदी अखबार और टीवी हिंदी शब्दों के बीच रोमन में लिखे इंग्लिश के शब्द डाल देते हैं। ऐसा इंग्लिश के अखबारों में नहीं देखा होगा आपने। जो लोग हिंदी को लेकर सार्वजनिक संवाद के काम में लगे हैं, उन्हें ऐसा लगता होगा कि हिंदी बोलने वालों की संख्या घट रही है। आप किसी भी चैनल को देखिए, रोमन इंग्लिश और देवनागरी इंग्लिश दोनों मिलेंगी। आप किसी भी इंग्लिश चैनल को देखिए, वहां देवनागरी हिंदी नहीं दिखेगी। ऐसा लगता है कि बाजार को लेकर हिं