आज की इस भीड़ भाड़ वाली जिंदगी में हर आदमी व्यस्त है...!किसी के पास वक्त नहीं है ,हर कोई भागा जा रहा है..!लोग क्यूँ भाग रहे है?कहाँ जा रहे है?किसी को कुछ नही पता..!सड़क पार करने के लिए इंतजार करना पड़ता है ..!सड़क पर गाड़ियों का बहाव देख कर ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर आज खाली हो जाएगा...!अस्पताल में देखो तो ऐसे लगता है जैसे पूरा शहर ही बीमार हो गया है !चारों और दर्द से कराहते लोग,रोते,चीखते लोग....लगता है जैसे दुनिया में दर्द ही बचा है...!रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर बहुत ज्यादा भीड़ है ,दम घुटने लगता है..!कभी मन बहलाने पार्क में चला जाऊँ तो लगता है ..सारा शहर मेरे .पीछे वहीँ आ गया है....!मैं अक्सर भीड़ देख कर चिंता में पड़ जाता हूँ....जब संसार में इतनी भीड़ है तो भी फ़िर इंसान अकेला क्यूँ है?अकेलापन अन्दर ही अन्दर क्यूँ ..खाने को आता है?आज इस भरी भीड़ में भी हमें कोई अपना सा क्यूँ नहीं लगता.....~!अभी कुछ समय पहले की तो बात है जब शहर जाते थे तो पूरा गाँव स्टेशन पर छोड़ने आता था ..बहुत होंसला होता था...लगता ही नहीं था की हम अकेले है...!फ़िर गाड़ी में भी लोग अपनत्व की बातें करते थे !कब शहर आ जाता