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Showing posts from January 2, 2010

गीतिका: तुमने कब चाहा दिल दरके? --संजीव वर्मा 'सलिल'

गीतिका संजीव वर्मा 'सलिल' * तुमने कब चाहा दिल दरके? हुए दिवाने जब दिल-दर के। जिन पर हमने किया भरोसा वे निकले सौदाई जर के.. राज अक्ल का नहीं यहाँ पर ताज हुए हैं आशिक सर के। नाम न चाहें काम करें चुप वे ही जिंदा रहते मर के। परवाजों को कौन नापता? मुन्सिफ हैं सौदाई पर के। चाँद सी सूरत घूँघट बादल तृप्ति मिले जब आँचल सरके. 'सलिल' दर्द सह लेता हँसकर सहन न होते अँसुआ ढरके। **********************

लो क सं घ र्ष !: विधि में संसोधन कोई विकल्प नहीं है

रुचिका प्रकरण के बाद विधि मंत्रालय से लेकर आम जनता तक पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री रठौड़ को कम सजा दिए जाने को लेकर एक बहस प्रारंभ हो गयी है सरकार बगैर सोचे समझे जनता की भावनाओ के दबाव में विधि में संशोधन कर रही है जिसका कोई औचित्य नहीं है । न्यायलयों में अभियोजन पक्ष की नाकामियों के लिए विधि को दोषी नहीं ठहराया नहीं जा सकता है । न्यायलयों की कार्यवाहियों में अभियोजन पक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है अभियोजन पक्ष सम्बंधित राज्य सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है । व्यवहार में मजिस्टे्ट ट्रायल में सहायक अभियोजन अधिकारी सरकार के पक्ष की तरफ से अधिवक्ता होते हैं । जो दोनों पक्षों से लाभान्वित होते हैं पीड़ित पक्ष को उनको खुश करने के लिए कोई समझ नहीं होती है इसलिए अभियोजन पक्ष न्यायलयों में बचावपक्ष से मिलकर सही प्रक्रिया नहीं होने देता है । जब कोई अपराधिक वाद किसी भी थाने में दर्ज होता है तो कुछ अपराधों को छोड़ कर सभी अपराधों की विवेचना सब इंस्

संजय सेन सागर - होली मुबारक हो....

' ' हि न्दुस्तान का दर्द' 'के समस्त लेखकों एवं पाठकों को रंगों का यह रंगीला त्यौहार ''होली''मुबारक हो... आइये होली के इस ख़ास दिन से हम सब प्रण करें  प्रकृति को बचाने,एक हरा भरा भारत बसाने की!      सूखी होली मनाएं,केमिकल युक्त रंगों का उपयोग न करें.साथ ही साथ दूसरों के लिए दुआ करें जो इन रंगों का अहसास नहीं कर पाते.. ''हिन्दुस्तान का दर्द'' आप सभी के उज्जवल भविष्य एवं प्रगतिशील वर्तमान की कामना करता है,आप सभी से आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की  ''हिन्दुस्तान का दर्द'' के साथ अपना है असीम प्यार बनायें रखेंगे...    संजय सेन सागर    आगे पढ़ें के आगे यहाँ