संवैधानिक मिथ्या या राजनैतिक सत्य ब्रिटिश एवं फ़्रांसिसी क्रांति के फलस्वरूप , यूरोप में पश्चिमी उदारवादी प्रजातंत्र का जन्म हुआ , परन्तु इस व्यवस्था में व्यापारिक एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों का दबदबा बना रहा , जिसके कारण कार्य करने वाले वर्ग अर्थात् मजदूरों एवं किसानों को सामाजिक एवं आर्थिक न्याय नहीं मिला। संयोगवश कम्पनियों एवं कारपोरेशनों को वैधानिक अधिकार दिया गया ताकि वे व्यापार आसानी से कर सकें। इसके साथ ही साथ न्यायपालिका की स्वतंत्रता की अवधारणा ने भी जन्म लिया। फैक्टरियों में 16 से 18 घण्टे तक काम लिया जाता था , बाल श्रम जोरांे पर था , अनाथालयों की दशा बड़ी दयनीय थी एवं जहाँ की स्थिति गुलामी से थोड़ी बेहतर थी , जिनका सजीव चित्रण मशहूर अंग्रेजी उपन्यासकार चाल्र्स डिकन्स ने अपनी किताबों में किया है। गुलामों एवं मजदूरों का व्यापारिक प्रतिष्ठानों के द्वारा अनियंत्रित शोषण किया जाता था। शासक वर्ग द्वारा समाजवाद के उदय के भय से एवं 19 वीं शताब्दी में मजदू