Skip to main content

Posts

Showing posts from September 6, 2009

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।हिन्दी भावानुवाद द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध

गणपति वंदन वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:। निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ अर्थ: हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोडों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें। विधि: घर से बाहर निकलते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। लाभ: जिस कार्य के लिए घर से निकलते हैं, वह पूरा होता है और यश मिलता है। हिन्दी भावानुवाद द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध सूर्य दीप्ति से प्रभामय , वक्रशुण्ड गणराज बाधा विघ्न विनाश प्रभु, सफल करो सब काज

शिक्षक ,अभिवाभाक , बच्चे ---त्रिकोण ? एक व्यर्थ की बहस-

५ सितम्बर , शिक्षक दिवस पर हर जगह ,टीवी,अखवार,गोष्ठियों में --इस त्रिको ण पर बहस होरही है ; मेरी समझ से यह बाहर की बात है की आख़िर इन तीन महत्वपूर्ण -व्यक्तित्वों को त्रिकोण पर क्यों हो ना चाहिए ? तीनों को एक बिन्दु पर रक्खकर क्यों नहीं देखा जाता? बहस का तो कोई मुद्दा ही नहीं है । अधिकार कर्तव्यों के समुचित निभाने पर मिलते हैं , बच्चों को अभी अपने कर्तव्यों का ही नहीं पता , अभी किसी कार्य के लिए सक्षम नहीं , तो उनके अधिकार कहाँ से आए ? यह पश्चिमी -रिवाज़ है जो बच्चों को स्कूल में पिस्टल व गोली लाने व साथियों पर चलाने को प्रेरित करता है| पिताव शिक्षक पर मुकदमा को प्रेरित करता है।उन्हें अधिकार नहीं अच्छा मनुष्य बनने के लिए उचित शिक्षा ग्रहण करने दीजिये ,कराइए । हर वर्ष की भांति रटी-रटाई बातें,शिक्षक,पेरेंट्स के कर्तव्य व बच्चों के अधिकारों पर बहस से कुछ नहीं होगा । वस्तुतः होना यह चाहिए --- १-शिक्षक,अभिवावकों ,बच्चों को कर्तव्य,अधिकार आदि रटाने की बजाय , सभी को सिर्फ़ अच्छा इंसान बनाना चाहिए बाकी सारा काम स्वयं ही होजायगा। २--५ वर

सितारों की प्रेस कांफ्रेंस का आंखों देखा हाल...

दिलनवाज/सुशील. खबरों के लिए मारामारी के इस दौर में फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस की क्या अहमियत होती है। आप जानते ही हैं। हमारे पत्रकारिता जीवन की पहली कांफ्रेंस, हमारे उत्साह-उत्तेजना का आप अंदाजा भर लगा सकते हैं। कांफ्रेंस में हम पहुंच तो बड़े उत्साह से फिर लगा जो खबरें हमारे हाथ लगेंगी वो तो हमारे मीडियाकर्मी बाकी भाइयों के हाथों में भी जाने वाली हैं। हम यहां से क्या अलग, क्या एक्सक्लूसिव लेकर जाने वाले हैं। हम पर हमारा खुद का ही दबाव था कि कुछ अलग हटकर निकाला जाए...कुछ सूझ नहीं रहा था। आइडिए के लिए हमने आपस में ही सिर भिड़ाया, एकाएक एक आइडिया क्लिक कर गया...क्यों ना इसी प्रेस कांफ्रेंस की ही लाइव रिपोर्टिंग कर डाली जाए...किसी कांफ्रेंस की जितना लिखा, दिखाया जाता है उससे इतर वहां बहुत कुछ होता है, बताने को...फिर ये तो फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस थी,बस हमने तय कर लिया आपको शब्द दर शब्द अवगत कराएंगे इस कांफ्रेंस के हर वाकए से... क्यों भई जब कैटरीन हो, रणबीर हो और प्रकाश झा भी हों तो और सामने हों ढेर सारे मीडियाकर्मी तो खबर से इतर कितना कुछ होता है जो खबर बन सकता है... घंटेभर पहले प

लो क सं घ र्ष !: मिलावट खोरों व जमाखोरों द्वारा सत्ता का संचालन

आजादी के बाद आज तक मिलावट करने वाले व आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई सक्षम कानून का निर्माण विधायिका ने नहीं किया। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि मिलावट खोरों ने मानव रक्त में भी मिलावट कर पूरे इंसानी समाज से खेलना शुरू कर दिया है और सरकार के पास उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई सक्षम कानून नहीं है, जिससे उनको दण्डित किया जा सके। आज मिलावट खोरों के चलते अधिकांश आबादी को हृदय रोग, मधुमेह, किडनी, लीवर आदि गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं। हड्डियों से देसी घी बनाया जा रहा है। खाद्य पदार्थों में अखाद्य चीजों की भरपूर मिलावट की जा रही हैं। इस सम्बन्ध में न तो केन्द्र सरकार और ना ही प्रदेश सरकार कोई कारगर उपाय कर रही है। चीनी, खाद्य तेल, दालें तथा कुछ सब्जियों का बफर स्टाक करके जमाखोर बड़ी पूँजी के माध्यम से कृत्रिम अभाव पैदा कर देते हैं और मनमाने तरीके से जनता से ऊँचे दामों पर उपभोक्ता वस्तुएँ बेचते हैं। सरकार उन्हीं से संचालित हो रही है। जब वे चाहते ह,ैं आवश्यक वस्तु अधिनियम तथा खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम में अपनी इच्छानुसार संशोधन करवा लेते ह

लो क सं घ र्ष !: अपने वजूद के लिए संघर्ष करता देश का जनमानस

देश में एक तरफ सूखे की स्थिति दूसरी तरफ बाढ़ के हालात इस कदर बिगड़ गये हैं कि बहुसंख्यक आबादी का अपने आप में जीविकोपार्जन करना मुश्किल हो गया है। मँहगाई के चलते दाल 90 रूपये किलो तक पहुँच गयी है। आम आदमी की थाली से भोजन गायब होता जा रहा है। बाढ़ और सूखे की वजह से मुख्य उत्पादक किसान और खेत मजदूर तबाह हो रहे हैं, स्थितियाँ विकट हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा व सत्तारूढ़ दल कांग्रेस जिन्ना विवाद में उलझे हुए हैं जब पूँजीवादी संकट के चलते मेहनतकश जनता तबाह और बरबाद हो रही होती है तब ये पूँजीवादी दल इसी तरह के मुद्दे उछालकर जनता का ध्यान उनके क्रिया-कलापों की तरफ न जाये, इसी तरह की बहस छेड़ते रहते हैं। आज पूँजीवादी व्यवस्था को जनसंघर्ष के माध्यम से उखाड़ फेंकने की है और एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की है जो टाटा बिरला और अम्बानियों से संचालित न हो क्योंकि ये इजारेदार पूँजीपति साम्राज्यवादी शक्तियों के ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं और इनका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक सम्पदाओं का दोहन कर अपने आर्थिक साम्राज्य को बढावा देना है इसके लिए यह लोग सब कुछ करने के लिए तैयार हैं। मानवीय संवेदनाओं से रहित ये पूँजीवादी

लो क सं घ र्ष !: आतंकवाद का हव्वा दिखाकर डराया जाता है हमें...

प्रसन्नता की बात है कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर होने वाले प्रायोजित कार्यक्रम इस बार नहीं हुए। पूर्व वर्षों की भाँति गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कुछ एजन्सियों द्वारा कथित आतंकवादियों की पकड़-धकड़ व एनकाउन्टर जैसे कार्यक्रम नहीं हुए, इसका मुख्य कारण यह है कि अमेरिकन साम्राज्यवादियों व उनके सहयोगी इसराइल ने मुम्बई आतंकी घटना को अंजाम देकर देश में पहली बार अपने नेटवर्क को प्रारम्भ किया और उसके बाद केन्द्र सरकार से जो चाहते थे वे सहूलियतंे ले लीं। साम्राज्यवादियों का नज़रिया देश को अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम बनाकर उसका हर तरीके से शोषण करना है। साम्राज्यवादियों के विकास का मुख्य आधार उपनिवेशक लूट है। जिसको वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से करते हैं। पाकिस्तान, बाँग्लादेश सहित हमारे देश भारत को प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश पुर्तगाली फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने कब्जा कर उपनिवेशित लूट कर अपने अपने देशों को समृद्ध बनाया था। जिसके कारण हमारे देश में बुद्धिजीवी वर्ग में गुलाम मानसिकता वाले व्यक्तियों की संख्या प्रचुर मात्रा में है जो अमेरिकन साम्राज्यवाद द्वारा किये गये ह

तेल कहां है, तेल किधर है!

जिसे देखो तेल पाने की दौड़ में शामिल है। पहले तो आगे बढ़ने के लिए तेल लगाने की होड़ में दूसरे को लोग पछाड़ते हैं और जब पानीदार हो जाते हैं तो तेल की खोज में निकल पड़ते हैं जो देश जितनी तरक्की करता जाता है तेल का उतना ही प्यासा होता जाता है। देश में दो पूंजीपति अम्बानी ब्रदर्स तेल के लिए एक दूसरे का पानी उतारने में भी नहीं हिचक रहे हैं । दुनिया का समृद्ध देश जिसके आगे सब पानी भरते हैं तेल का प्यासा है और जहां जहां तेल की संभावना दिखती है वहां वहां लोकतंत्र स्थापित करने लगता है। कितने ही सद्दाम हुसैनों का तेल निकालने की फिराक़ में अमरीका जुटा है। लोकतंत्र उसके लिए तेल निकलने का यंत्र है। तेल के प्या से अमरीका ने तेलदार कई देशों से पंगे ले लिए हैं कि आने वाले दिनों में तमाम देशों से लड़ते लड़ते खुद उसका तेल निकल जा ने वाला है। यह अपने मनमोहन सिंह भी जानते हैं इसलिए दुनिया का नम्बर वन होने की तैयारी में लग गये हैं। चीन