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Showing posts from December 10, 2010

घोटाले ही घोटाले

चोर चोर मोसेरे भाई देश में सबसे बढ़ा संचार घोटाला हुआ इस पर भाजपा का संसद में शोर शराबा हुआ और जे पी सी की मांग को कोंग्रेस लगातार तानाशाहों की तरह ठुकराती रही ऐसे घोटाले पहले भी हुए हें कोंग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री सुखराम के खिलाफ तो इस घोटाले में पकड़े जाने के बाद मुकदमा चला और सजा हुई , भाजपा शासन में ऐसे ही घोटालों में पूर्व मंत्री स्वर्गीय प्रमोद महाजन पर अरबों रूपये के आरोप लगे और फिर उनसे इस्तीफा लिया गया , भाजपा के ही अरुण शोरी को आरोपों के बाद पद से हटाया गया अब ऐ राजा इस भ्रस्ताचार की गिरफ्त में हे लेकिन देश के बढ़े उद्योगपति जो इस घोटाले में शामिल हें उन रतन जी टाटा ने सुप्रीम कोर्ट की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा हे के संचार घोटाले मामले की जाँच वर्ष २००१ से होना चहिये रतन टाटा ने ऐसा क्यूँ बयान दिया हे वेसे तो सब जानते हें लेकिन जब रतन टाटा ने गेर जरूरी तोर पर इस मामले में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिघ की वकालत की तो बात साफ़ हो गयी और सब जान गये के रतन टाटा ने यह बयान दिया नहीं बलके उनसे यह बयान किसी दबाव में दिलवाया गया हे ताकि भाजपा जे पी सी की मांग स

देस्श में भ्रस्ताचार ही भ्रष्टाचार

विश्व भ्रस्टाचार दिवस पर भी भ्रष्टाचार ही भ्रस्टाचार दोस्तों विश्व भ्रस्टाचार दिवस के उपलक्ष में आप सबको बधाई , भ्रस्टाचार मामले में हमारा देश ७५ प्रतिशत त्रस्त हे और यहाँ का करीब २० लाख करोड़ रुपया विदेशों में जमा हे जो अब बढ़ कर २५ लाख करोड़ रूपये हो गयी हे , दोस्तों कम से कम हमारा देश भ्रस्टाचार मामले में तो तरक्की कर ही रहा हे और तरक्की भी कितनी के इस देश में भ्रस्ताचार की जांच करने वाली केन्द्रीय सतर्कता समिति के आयुक्त थोमस खुद भ्रष्टाचार मामले में उलझे हुए हें उलझे भी ऐसे के प्राथमिक आधार पर थोमस को प्रथम द्रष्टया दोषी मानकर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मान लिया हे लेकिन जनाब को शर्म ही नहीं हे और वोह पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते हें । देश का २५ लाख करोड़ रूपये जो बाहर भेजा गया हे मेने मेरे साथ बेठे कुछ पढ़े लिखे लोगों से लिख कर बताने को कहा कई लोग पोस्ट ग्रेजुएट थे लेकिन इस रकम को कोई लिख नहीं सका अब दोस्तों देश के नोजवान जिस राशी को लिख भी नहीं पा रहे हें इससे भी कई अधिक राशि आज विदेश में हे जो हमारा हक हे । हमारे देश में आज भ्रस्ताचार शिष्टाचार बन गया हे और भ

भ्रस्टाचार पर बहस का मजाक ?

भ्रस्टाचार का नाम आते ही अब जेहन में तूफान नही मचता क्यूँ ? क्यूंकि हम उसे जेहनी तौर पर स्वविकार चुके है दरअसल हर उस मुद्दे को भोथरा बना धार बिहीन करने की साजिश लम्बे समय से चल रही है वरन यह कहा जाये की साजिश के बीज बोये गये जो अब भ्रस्टाचार की लहलाहती फसल में बदल गये है इसी साजिश की दूसरी शक्ल है किसी भी मुद्दे का खाशियत का क़त्ल कर देना ताकि जब भी भ्रस्टाचार जैसा शब्द कान में पड़े तो सामने वाला तत्काल बोल पड़े की "अरे यह सब तो चलता ही रहता है" हल ही में फिर से देश परदेश में भ्रस्टाचार के कुछ नये पुराने मामलो पर बहस जारी है ! हाल ही में पूर्ब मुख्य सचिव नीरा यादव के जेल जाने और अनाज घोटाले पर अदालत की फटकार के बाद इस मुद्दे ने आम आदमी के दिलो दिमाग को एक बार फिर झकझोरदिया है !पर क्या नीरा से बाकि अफसर कुछ सीख लेंगे !क्या अनाज घोटाले में कोई जेल जायेगा !या ये सब टीबी और अखबारों की सुर्खिया बनकर ही रह जायेंगे !द्स्ताबेजो की माने तो अनाज घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला बन गया है जो की लगभग ३५००० करोड़ का है !यह २००५ -२००४ में मुलायम सरकार में हुए थे जिसमे ८ सीडियो,सहित १७५ पर मुकदम