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Showing posts from May 3, 2011

आप सपने देखते ही होंगे! उसका पीछा भी करते हैं?

इन तस्‍वीरों पर चटका लगा कर इन्‍हें बड़ी साइज में देख सकते हैं। मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त एसवाई कुरैशी बोल रहे हैं। करन दलाल बोल रहे हैं। एसबी मिश्रा बोल रहे हैं। निर्मला जी वक्‍ताओं को सुन रही हैं। मंच पर मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त एसवाई कुरैशी साहब। ♦ अविनाश ज ब नीलेश हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की गरिमा और प्रतिष्‍ठा से भरी नौकरी के बीच अचानक गायब हो गये और पता चला कि उन्‍होंने पत्रकारिता की रोज़मर्रेदार कार्रवाइयों से छुट्टी ले ली है – तो मुझे जिज्ञासा हुई कि वे दरअसल क्‍या करेंगे। यह तो पता था कि वे और राहुल पंडिता मिल कर देश भर में चल रहे माओवादी या एंटी स्‍टेट आंदोलनों पर  एक किताब  लिखने में जुटे हैं – लेकिन वह लिखना तो कुछ सालों से चल रहा था और किताब लगभग पूरी होने को थी। सो इतना तो यकीन था कि इसके लिए उन्‍होंने छुट्टी नहीं ली होगी। हालांकि बेचैन आत्‍माओं के बारे में ये सारे यकीन अक्‍सर आपको ठगते भी हैं। खैर, एक दिन रवीश ने बताया कि नीलेश का इरादा अब गांव के स्‍कूल में बच्‍चों को पढ़ाने का है। नीलेश के  इस इरादे की सूचना से मुझे थोड़ी थकान महसूस हुई, क्‍योंकि अक्‍सर ऐसे रूमानी खयाल हमारी कल्‍प