बीज़ेपी और संघ परिवार के अन्य सदस्यो के सन्दर्भ में कल्पना करें की भारत जैसे विविधतापूर्ण और बहुलवादी देश में देश भक्त होने के लिए सेकुलर होने और विख्नण्ङनकारी राजनीति के त्याग की शर्त कोई जरूरी नही है क्योंकि सावरकर से लेकर गोलवलकर तक ,हिंदुत्व के सभी विचारको को हिटलर ने सदैव प्रेरित किया है । इसलिए , सिर्फ़ तर्क की खातिर , देखते है की संघ परिवार जिन हिन्दुत्ववादी ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है, वे हिटलरी नजरिये से राष्ट्रवादी है या नही। सिर्फ़ तीन मुद्दों कश्मीर, कंधार और सीटीबीटी - पर हम विचार करेंगे । इस विचार का निष्कर्ष यह है की सबको, खासतौर से मुसलमानों को, राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट देने वाली ये ताकतें वास्तव में राष्ट्रिय हितों की सौदागर है और भारतीय जनता ने 15 वी लोकसभा के चुनाव में अडवानी एंड कंपनी को शिकस्त देकर ऐतिहासिक कार्य किया है । पहले कश्मीर। यह सर्विदित है, फिर भी संछेप में दोहराने की जरूरत है की जम्मू - कश्मीर का हिंदू महाराजा अंत तक अपनी रियासत की संप्रभुता के लिए कोशिश करता रहा, पाकिस्तानी हमले के बाद महाराजा रातोरात श्रीनगर से भागकर जम्मू पहुँचा और उस दौरान शेख अ