यादों की किताब नवम्बर माह की यूनिकवि प्रतियोगिता की दूसरी कविता कवि संजय सेन सागर की है, जिसके माध्यम से कवि ने साहित्य को व्यवसाय समझने वालों पर वार किया गया है। साथ-साथ यह कविता एक सच्चे लेखक की भावनाओं को बयां करने का प्रयत्न करती है। म.प्र. के सागर जिले में पैदा हुए और सागर केन्द्रीय विश्वविधालय में बी.काम. द्वितीय वर्ष के छात्र कवि संजय सेन सागर की यह पहली रचना है, जिसे हिन्द-युग्म पर प्रकाशित किया जा रहा है। कवि को पिछले कुछ सालों से लिखने का शौक लगा है। मीडिया में जाना चाहते हैं, उसी दिशा में प्रयासरत हैं। पुरस्कृत कविता- यादों की किताब दिल की तन्हाई जिदंगी की यादों और ख्वाबों की इबारत से खामोश रात में लिखी किताब का सुबह सौदा हुआ । बिक गये वे सभी सपने जो आँखों में बंद थे । लुट गया वो अकेलापन जिसे चुराया था भीड़ से रह गई, तो सिर्फ कुछ दौलत जो मेरे बेकाम की थी । सच्चे दिल के खून को स्याही बनाकर रंगा था उस किताब के पन्नों को । लुटा दी थी हमने सारी खुशियां और गम उस किताब को सजाने में अब मेंरे साथ कुछ है तो उस की धुंधली सी यादें। आसमां सी विशाल भावनाओं, जमीन की पावन सादगी औ