किसी गांव में नदी के किनारे एक ज्योतिषी जी लोगों का भाग्य बताने के लिये बैठते थे, सहसा दो लोग (बाप-बेटे) वहाँ पहुंचे, नदी पर पुल नही था न ही नाव थी, उन्हें उस पार के गांव जाना था, यह पता नहीं था कि नदी कितनी गहरी है, ज्योतिषी जी ने उनकी सहायता करने के लिये दोनों का कद़ नापा, बाप पांच फीट तथा बेटा 3 फिट लम्बा था, नदी की गहराई जाकर नापी जो साढ़े तीन फिट थी, दोनों का औसत चार फिट ठहरा, निश्चित भाव से दोनों से कहा बेखौफ उतर जाओ, डूबने का प्रश्न ही नहीं उठता, जब वे गहराई में पहुंचे तो बेटा डूबने लगा। आप ने देखा इस चुटकुले में आंकड़े का दुरूपयोग हुआ है। गणित एवं तथ्य अलग-अलग रास्तों पर हैं। मानव जीवन आंकड़े के बगैर आगे नहीं बढ़ सकता, जमीन से लेकर आसमान तक ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में इसकी आवश्यकता सर्वविदित है परन्तु इसका दुरूपयोग भी अनेक कारणों से खूब किया गया है, इस दुरूपयोग को हम आंकड़ेबाजी कहते हैं, सरकारें इस बाज़ीगरी में माहिर है, इसीं के सहारे वह बातों को उलटती पलटती रहती है और जनता के दिमाग में वही बाते भरती है जो वह अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये चाहती है। कुछ वर्षों पहले इण्डिया शाइनिंग के न